माँ प्राण का आधार भी है
जो थामती है हर विपद में
दे ज्ञान दीपक पथ दिखाती,
माँ प्राण का आधार भी है
रात्रि बनकर विश्राम देती !
सौंदर्य की देवी कहाए
इस जगत को आकार देती,
शिव से मिलन की प्रेरणा दे
ले कर स्वयं कैलाश जाती !
अपार ऊर्जा धारे देवी
दर्शन परम अनंत कराती,
जगत दात्री बनी सिद्धि रिद्धि
निःशंका जो सदा विचरती !
महातपस्विनी जगत माता
पराम्बा, जया, महायोगिनी,
शिव प्रिया, अंबा, महागौरी
जगत तोषिणी दिव्यतोषिणी !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 16 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
हटाएंआप ने लिखा.....
जवाब देंहटाएंहमने पड़ा.....
इसे सभी पड़े......
इस लिये आप की रचना......
दिनांक 16/10/2023 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है.....
इस प्रस्तुति में.....
आप भी सादर आमंत्रित है......
बहुत बहुत आभार कुलदीप जी !
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंजो थामती है हर विपद में
जवाब देंहटाएंदे ज्ञान दीपक पथ दिखाती,
माँ प्राण का आधार भी है
रात्रि बनकर विश्राम देती !
अत्यंत प्रभावित करने वाली रचना 🙏
स्वागत व आभार !
हटाएंशारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं सखी माता रानी की बहुत ही सुन्दर स्तुति लिखी आपने
जवाब देंहटाएंआपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबेहतरीन सृजन
जवाब देंहटाएंजय अम्बे
स्वागत व आभार !
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