अपनों का प्यार
यहाँ कुछ और नहीं
जीवन ही साध्य है
हर सुख टिका है जिस पर
भौतिक, मानसिक, आत्मिक
स्वास्थ्य ही प्राप्य है
श्वासें जो भीतर जा रहीं
अनमोल हैं
बिना उनके देह पड़ी हो सम्मुख
न उसका कोई मोल है
हों निरोगी
हैं जो अस्वस्थ
धन पाएँ निर्धन
जगे सौभाग्य अभागों का
न्याय
मिले पीड़ितों को
वंचितों को
उनका अधिकार
अकेले हैं जो उन्हें
अपनों का प्यार !
अपनों का प्यार एक धरोहर है जीवन की ...
जवाब देंहटाएंवाक़ई, शुभ स्वागतम !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11अक्टूबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार हरीश जी !
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार जोशी जी !
हटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंयहाँ कुछ और नहीं
जवाब देंहटाएंजीवन ही साध्य है
हर सुख टिका है जिस पर ।
जी सुंदर प्रस्तुति ।
स्वागत व आभार !
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