शुक्रवार, जुलाई 19

गुरु ने कहा


गुरु ने कहा


तुम्हारी मंजिल 

यदि श्मशान घाट ही है

चाहे वह आज हो या 

कुछ वर्षों बाद 

तो क्या हासिल किया 

एक रहस्य 

जो अनाम है 

 स्वयं को प्रकटाये

तुम्हारे माध्यम से

तभी जीवन को 

वास्तव में जिया !

वह जो सदा ही निकट है 

 प्रकृति के कण-कण में छुपा 

वह जो कृष्ण की मुस्कान की तरह 

अधरों पर टिकना 

और बुद्ध की करुणा की तरह 

आँखों से बहना चाहता है  

प्रियतम बनकर 

गीतों में गूँजना चाहता है 

संगीत बनकर आलम में 

बिखरना चाहता है 

वही कला, शिल्प, नृत्य है 

  पूजा, प्रज्ञा, मेधा है वही 

उर की गहराई में

 बसने वाली समाधि भी वही

उसे दिल में थोड़ी सी जगह दो

घेर ले वह अपने आप ही शेष

इतनी तो वजह दो ! 


14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 20 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! अनीता जी ,बेहतरीन सृजन!

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  3. मनमंथन को प्रेरित करती लाजवाब रचना
    वाह!!!

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  4. बहुत ही उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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