मानवता का धर्म
दिल में एक हूक सी उठती है
जब सड़कों पर आगज़नी
देखने को मिलती है
फूँक दिये जाते हैं लाखों के वाहन
भारत की यह पावन भूमि
निर्दोषों के खून से रंग जाती है !
काँप उठता है दिल जब
टीवी पर दिखाए जाते हैं
बाढ़ में फँसे निरीह जन
जिनके घरों में घुस गया है पानी
बेबस हैं छतों पर लेने को शरण !
आक्रोश से भर उठता है दिल
जब आतंकवादी निशाना बना देते हैं
जवानों को आये दिन
चंद पैसों की ख़ातिर
सत्ता की ताक़त में मदहोश सरकारें
वोट की ख़ातिर बर्दाश्त करती हैं
हिंसा और अन्याय
अपने ही नागरिकों पर !
दिल खून के आंसू रोता है
देखकर आदर्शों की हार
और धन की जीत चुनावों में
जब रेवड़ी बाँटने वाले नेताओं की
होती है चाँदी
स्वच्छ भारत के नाम पर
सड़कों के किनारे बढ़ते हुए कूड़े के ढेर !
हर तरफ़ मची है कैसी अफ़रातफ़री
जैसे फिर से दिशाहीन हो गया है
देश का युवा
क्यों छाये हैं निराशा के बादल
क्याँ गमगीन है आज दिल इतना !
चलें ! हम निकलें सड़कों पर
छोड़कर घर की सुरक्षा और आराम
जगायें सोये हुए लोगों का ज़मीर
फैलायें मानवता के धर्म का पैग़ाम
जो सनातन है, सत्य है और शाश्वत है
जो ढक जाये भले ऊपर-ऊपर
भीतर पूर्णत: जागृत है !
इंसानियत से रिक्त होते समाज में मानवता के धर्म की उम्मीद सिर्फ़ सकारात्मक विचार ही हो सकता है शायद...।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अभिव्यक्ति।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १६ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी श्वेता जी, विचार में बहुत शक्ति होती है, जितना-जितना सकारात्मक विचार फैलाए जाएँगे समाज उतना ही सचेत होगा। 'पाँच लिंकों का आनंद' भी यह कार्य बखूबी कर रहा है, बहुत बहुत आभार !
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति अनीता जी ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंआपकी आवाज हर संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक की आवाज है। सत्ता के लिए दुर्घटनाएँ, हत्या अपराध सिर्फ आंकड़े होते हैं। बहुत मार्मिक बात कही है आपने।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत भावपूर्ण, सत्य को उजागर करती प्रस्तुति🙏🙏
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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