महाप्रलय 
कैसी होती है महाप्रलय
झांका जब मैंने ग्रंथों में, 
जहाँ पुकार-पुकार कह रहे 
कवि-ऋषि अति स्पष्ट शब्दों में !
सृष्टि बनती और बिगड़ती 
जाने कितनी बार उजड़ती, 
पुनः-पुनः सजती और संवरती 
नई-नई तकदीरें गढ़ती !
जब पूरी होती युग आयु 
अनाचार प्रबल हो जाता, 
जब सत्य, धर्म को तज मानव 
निज सुख-साधन में खो जाता !
तब बादल जल ना धारेंगे 
त्राहि-त्राहि मच जायेगी, 
सूर्य प्रचंड तपन देगा 
सागर, नदियाँ कुम्हलायेंगी !
संवर्तक दावाग्नि से 
जल जंगल तृण से राख बनें, 
अग्नि भूगर्भ की भी जागे 
फट ज्वालामुखी लावा उगलें ! 
वायु धू-धू कर जला करे  
फिर छा जाये घनघोर घटा 
गर्जन-तर्जन करते मेघा 
वर्षा की बहे अविरल छटा ! 
बारह बरसों तक पानी की 
धाराओं से धरती भीगे 
 डूब-डूब जाएंगे प्राणी  
विश्राम करें ब्रह्मा जल में !
एकार्णव में रहें डोलते 
बरगद पत्ते पर गोविन्द 
दर्शन देते मार्कंडेय को 
प्रलय काल का होगा अंत !
अनिता निहालानी 
२१ मार्च २०११ 
 
बड़ा हाहाकारी दृश्य दिखाया है आपने प्रलय का इस पोस्ट के माध्यम से.......प्रशंसनीय |
जवाब देंहटाएंजब पूरी होती युग आयु
जवाब देंहटाएंअनाचार प्रबल हो जाता,
जब सत्य, धर्म को तज
मानव निज सुख-साधन में खो जाता !
यही समय चल रहा है ...अतिक्रमण होने पर प्रलय आना तो निश्चित ही है ...शब्दों के माध्यम से महाप्रलय का चित्र अंकित कर दिया ...
अच्छी प्रस्तुति
दिन और रात की तरह सृष्टि और प्रलय तो इस जीवन की रीत है.रात बीत जाती है ,इसीतरह प्रलयकाल भी बीत जायगा.
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनिता निहालानी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
...प्रशंसनीय प्रस्तुति
रचना अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
अच्छी लगी यह कविता...
जवाब देंहटाएंमहाप्रलय का सुन्दर चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंश्रिष्टि...लय...श्रिष्टि के क्रम का बहुत सुन्दर वर्णन --- इसी संदर्भ में "लखनऊ ब्लोग.असो."पर मेरी रचना ’श्रिष्टि’ महाकाव्य भी देखें....
जवाब देंहटाएंTrue !
जवाब देंहटाएंअच्छी सोच, सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।
आप सभी सुधी जनों का स्वागत वा आभार !
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