देखो आयी होली
बौराया आम्र, मंजरी झूल रही गर्वीली
हवा फागुनी मस्त हुई बिखरी सुवास नशीली !
मोहक, मदमाता मौसम खिली पलाश की डाली
धूम मचाती, रंग उड़ाती देखो आयी होली !
बही बयार बड़ी बातूनी बासंती रसीली
बजे ढोल, मंजीरे खड़के, नाच उठी शर्मीली !
उपवन-उपवन पुष्पों की बारात सजी अलबेली
गुन-गुन करते भंवरे डोलें तितली नई नवेली !
ऊपरवाला खेल रहा यूँ सँग कुदरत के होली
लाल पलाश, गुलाबी कंचन, झूमी सरसों पीली !
छंट गए सारे भेद, सुनो कोकिला वन वन बोली
मिटा द्वैत एक हुए मुखड़ों पर सजी रंगोली !
डगर-डगर हर गाँव खेत निकली मस्तों की टोली
पलकों में अनुराग भरा बोलों में मिसरी घोली !
अनिता निहालानी
१८ मार्च २०११
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंसरस, सरल, सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंहैप्पी होली।
बहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के माध्यम से आपको पढ़ सका।
आभार
होली की शुभकामनाऐं
ऊपरवाला खेल रहा यूँ सँग कुदरत के होली लाल पलाश, गुलाबी कंचन, झूमी सरसों पीली !
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna . holi ki hardik shubhkamnayen
बहुत सुन्दर रंगारंग होली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति आभार.
जवाब देंहटाएंनेह और अपनेपन के
इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
manbhaavan saras kavita ke liye aabhar. holi ki shubh kaamnaaye.
जवाब देंहटाएंआदरणीया अनिता निहालानी जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
रंग भरा प्रणाम !
उपवन-उपवन पुष्पों की बारात सजी अलबेली
गुन-गुन करते भंवरे डोलें तितली नई नवेली !
वाऽऽह ! क्या ख़ूब चित्रण है !
ऊपरवाला खेल रहा यूं संग कुदरत के होली
लाल पलाश, गुलाबी कंचन, झूमी सरसों पीली !
सच में बहुत सरस सुंदर मनभावन रचना है …
हृदय आह्लाद से भर गया है … नमन आपकी लेखनी को …
हार्दिक आभार !!
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार