मैं भी अन्ना तू भी अन्ना
सोये हुए जन-जन में अन्ना
फूंक चेतना की चिंगारी,
आत्मशक्ति के बल पर तुमने
भारत की तस्वीर संवारी !
रोटी से न जीता मानव
स्रोत ऊर्जा का है भीतर,
दिखा दिया संसार को सारे
इतने दिनों तक जल ही पीकर !
संसद में हुई चर्चा अविरत
भ्रष्टाचार मिटाना होगा,
भ्रमित न होगी अब जनता
लोकपाल बिठाना होगा !
कोई तो हो ऐसा जिसको
पीड़ित जन फरियाद कर सकें,
रक्षक जो भक्षक बन बैठे
उनसे वे निजात पा सकें !
न्यायालय में न्याय कहाँ है
पैसे में बिकता कानून,
कॉलेजों में सीट नहीं हैं
निगल गये भारी डोनेशन !
राशन हो या गैस कनेक्शन
सब में गोलमाल चलता है,
ऊपर से नीचे तक देखें
भ्रष्टाचार यहाँ पलता है !
नेता भी बिकते देखे हैं
ऑफिसर बेचें ईमान,
घोटाले पर घोटाला है
नई पीढ़ी होती हैरान !
कोई ऐसा क्षेत्र बचा न
जहां स्वच्छ काम होता है,
महँगाई तो बढती जाती
सबका हाल-बेहाल होता है !
अन्ना ने मशाल जलाई
जाग गया है हिंदुस्तान,
झांक के अपने भीतर देखे
बने आदमी हर इंसान !
थोड़े से सुख सुविधा खातिर
गिरवी न रखेंगे आत्मा,
नई पीढ़ी यह सबक ले रही
अनशन पर बैठा महात्मा !
अन्ना का यह तप अनुपम है
देश का होगा नव निर्माण,
रोके न रुकेगा यह क्रम
करवट लेता हिंदुस्तान !
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबधाई ||
sarthak prastuti...badhai.
जवाब देंहटाएं.हम अन्ना जी को शत-शत नमन करते है जिन्होंने हमें हमारे अन्दर छिपी शक्ति से परिचित कराया....
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक.अन्ना के लिए तुम्हारी लिखी कविता पढ़ने की इन्तजार थी,जो अन्ना के अन्नशन तोड़ने के साथ साथ पूरी हो गई.
जवाब देंहटाएंसमसामयिकी पर बेहतरीन पोस्ट.......अन्ना जी को नमन है हमारा.......ये राष्ट्र कभी उनकी इस गाथा को नहीं भुलायेगा |
जवाब देंहटाएंअन्ना ने रास्ता दिखाया है उस पर चलना हमारा कर्तव्य है।
जवाब देंहटाएं