बुधवार, जुलाई 31

जुड़ें रहें जो मूल से

जुड़ें रहें जो मूल से



उस दिन एक
वृक्ष को बतियाते देखा
वही गीता वाला  
पीपल का वह विशाल वृक्ष !
जिसका मूल है ऊपर, शाखाएँ नीचें
 तना वृद्ध था, मुखिया जो
 ठहरा घर का !

कुछ शाखाएँ पहली पीढ़ी
उम्र हो चली, सो संयत हैं
नई-नई अभी कोमल हैं
 नाचा करतीं हर झोंके संग
धीरे-धीरे ही सीखोगी, कहा वृद्ध ने
 जब मौसम की मार सहोगी
कभी धूप, बौछारें जल की
सूनी शामें जब पतझड़ की
तब जानोगी, क्या है जीवन ?
पत्ता-पत्ता छिन जायेगा
गहन शीत में तन काँपेगा,

खिलखिल हँस दी कोमल टहनी
 जब तक साथ तुम्हारा बाबा
हम जीवित है
तुमसे पोषण मिलता
हमको, सब सह लेंगे
किन्तु हुईं जो पृथक जानना
मिटना ही उनकी नियति है
जुड़ा रहा जो मूल से उसको
कैसे कोई हिला सकेगा
अपना योगदान देकर वह जग को  
 हँसते-हँसते विदा कहेगा....!



16 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर कथ्य!
    जो जुड़ा रहेगा... वो बचा रहेगा!

    जवाब देंहटाएं
  2. परेड के माध्यम से जीवन का सार ... परिवार का महत्त्व साझा किया है ...
    बहुत सुन्दर भाव ..

    जवाब देंहटाएं
  3. जुड़ा रहा जो मूल से उसको
    कैसे कोई हिला सकेगा
    अपना योगदान देकर वह जग को
    हँसते-हँसते विदा कहेगा....!

    शाश्वत सत्य है यही....

    जवाब देंहटाएं
  4. कल 01/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह बहुत सुंदर बात ....!!सुंदर अभिव्यक्ति |

    जवाब देंहटाएं
  6. अति सुन्दर हो।

    Tum To Yahin Kahin Baba Mere Sath -Sadhna Sargam-Excellent BK Meditation song.
    by Bharat Desai3 years ago28,284 views
    Sadhna Sargam Sings This Beautiful Meditation Song For Brahma Kumaris. Pl. Listen, Enjoy & Feel Close To The Supreme Nirakari

    जवाब देंहटाएं
  7. जुड़ा रहा जो मूल से उसको
    कैसे कोई हिला सकेगा.
    - बहुत सार्थक कथन !

    जवाब देंहटाएं
  8. जब मौसम की मार सहोगी
    कभी धूप, बौछारें जल की
    सूनी शामें जब पतझड़ की
    तब जानोगी, क्या है जीवन ?

    गीता की तरह जीवन का सार समेटे अद्भुत पोस्त…हैट्स ऑफ इसके लिए |

    जवाब देंहटाएं
  9. हमने भी अपना योगदान देना है ..
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  10. यही तो मानवीय विराट वटवृक्ष वर्ल्ड ह्यूमेन ट्री है। सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान छिपाए क्योंकि इस का बीज रूप स्वयम परमात्मा है।

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सभी सुधी जनों का स्वागत व आभार !

    जवाब देंहटाएं