एक विजय प्रयाण चल रहा
एक विजय प्रयाण चल रहा
हर क्षण इक संग्राम चल रहा,
भेदन, शोधन, संवर्धन का
प्रतिपल इक अभियान चल रहा !
गहन गुफाओं से अंतर की
धाराएँ ऊपर उठती हैं,
सौम्य भाव बहे अम्बर से
संग मेघ रूप धरती हैं !
इक सागर ज्योति का जिस पर
गहन आवरण अन्धकार का,
एक परम ऊर्जा सोयी
इक आनंद है महाकार सा !
कोई अविरत सदा जगाता
चरैवेति का मंत्र सुनाता,
दुख दानव बलशाली कितना
सुख देव की विजय कराता !
प्रतिपल कोई साथ हमारे
सिर पर हाथ धरे है चलता,
विजय सत्य की ही होती है
स्वपन अगन सा जलता रहता !
दिव्य लोक से आवाह्न इक
अभीप्सा सत्य की जगाये,
आरोहण करने की प्रेरणा
निर्मल मन में भरती जाये !
गहन भावों को सँजोये सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिलकुल सत्य-
जवाब देंहटाएंयही जीवन है-
शुभकामनायें आदरणीया-
गहन भाव लिए सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर.......एक गहन शांति का आह्वान।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी,रविकर जी, माहेश्वरी जी व इमरान आप सभी का स्वागत व आभार !
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