उसका नाम
जब कोरा हो मन का पन्ना
तभी लिख लो प्रियतम का नाम उस पर
नहीं तो जमाना लिख देगा
इधर-उधर की इबारतें
महत्वाकांक्षा की दौड़ ले जायेगी खुद से दूर
फिर पुकार भी उसकी
कानों तक नहीं आयेगी
इक झूठ को जीते चले जाने से
नहीं हो जाता वह सच
नकली पहचान बनाने की जिद में
असली पहचान भी खो जाएगी
जब पढ़ा जा सकता हो साफ-साफ
तभी उकेर दो उसका नाम
मन के कोरे कागज पर..
उम्दा प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
बहुत सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
सच कहा झूठ की उम्र कितनी ही लम्बी क्यों न हो पर एक दिन उसे दम तोड़ना ही होता है |
जवाब देंहटाएं