तो खिलेगी पाँखुरी
बांस की इक पोंगरी हम
तुम बजाओ, तो बनेगी बांसुरी
एक बिखरा गीत जैसे
इक अधूरी सी कहानी
क्रम नहीं सतरों में कोई
तुम लिखो, तो बहेगी माधुरी !
चंद श्वासें पास अपने
पल रहे कुछ खास सपने
किस चरण पर हों समर्पित
तुम धरो, तो खिलेगी पाँखुरी !
बांस भी अपना नहीं है
श्वास भी पायी तुम्हीं से
तुम्हें अर्पित शै तुम्हारी
तुम गहो, तो सधेगी रागिनी
!
तुम्हीं से सार्थक, तुम्हीं से है सगुन,
जवाब देंहटाएंअन्यथा ये था वृथा जीवन !
तुम्ही तो जीवन हो, तुम्ही से जीवन है.
जवाब देंहटाएंभावविभोर कर गए आपके सुन्दर शब्द …आभार
प्रतिभा जी व संध्या जी, स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंरचना मन को लुभा गई .
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