अब
बहुत हुआ खेल, अब चलो
कुछ काम की बातें कर लें
उससे पहले कि पर्दा उठ जाये
उससे दोस्ती बना लें
कहीं ऐसा न हो, खो जाये
एक श्वास व्यर्थ ही
अनंत के इस गह्वर में
या फिर चूक जाये एक बार फिर
कोई गीत रचे जाने से एक क्षण पूर्व
खो जाये कोई उजास जलने से पूर्व ही
या कली की मौत हो फूल बनने से पहले
और उससे दोस्ती बनाने के बाद
जो हो सो हो
जो होना है सो हो जाये !
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंएक बार तो अपनी-सी कर लें !
जवाब देंहटाएंहर बार तो अपनी सी ही की है
हटाएं
जवाब देंहटाएंफिर जो हो सो हो चलो इस पल को सहेजो समेटो बनो मेरे कन्हैयाँ
अति सुन्दर शब्द और भाव..
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार, वीरू भाई व अमृता जी !
जवाब देंहटाएं