वही मुक्त है शेष बो रहे
जो उसका है उसके हित है
वही जागता शेष सो रहे,
मधुरिम सी जो कृपा बरसती
वही पा रहा शेष खो रहे !
उसका होना ही होना है
वही मुक्त है शेष बो रहे,
काटेंगे कर्मों की खेती
कोरा है वह शेष धो रहे !
जो उसके चरणों में झुकता
वही उठा है शेष ढो रहे,
बैठ गया जो वह पहुंचा है
वृष कोल्हू के शेष जो रहे !
जिसने खुद के भीतर झाँका
पाया उसने शेष तो रहे,
जुड़ा एक अजस्र स्रोत से
बस यूँ ही से शेष हो रहे !
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर १
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट माँ है धरती !
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंसादर
anu
उस स्रोत से जुड़ कर शेष हो रहने का प्रश्न समाप्त हो जाता है.
जवाब देंहटाएंकालीपद जी, अनु जी, आशीष जी, प्रतिभा जी, राहुल जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट शब्दों का संयोजन
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंएक सलाह: कठिन शब्दों के अर्थ भी लिख दे तो मेरे लिए बेहतर होगा :)
आभार