शब्द तरंग
तरंग मात्र ही हैं शब्द
आते हैं और चले जाते हैं
हम ही हैं जो पकड़ लेते हैं उन्हें बीज की तरह
और जमा देते हैं मन की धरती पर...
दर्द के फूल उगाने को
यदि बह जाये हर शब्द तरंग की तरह
तो मन निशब्द में पा ही लेगा
अव्यक्त को
लहरियों में नृत्य को
और हर भंवर में उस अनोखे लोक को
जहाँ से चले आते हैं शब्द...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-12-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2571 में दिया जाएगा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
अपना अर्थ मन पर अंकित कर देते हैं शब्द- एक चिह्न की तरह .
जवाब देंहटाएंशब्द-महिमा और जीवन से जुड़ाव की सुन्दर अभिव्यक्ति.
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