नए तराने गाएँ मिलकर
नए वर्ष में आओ ! साथी
नए-नए हो जाएँ खिलकर,
नया सृजन हो, नए गीत कुछ
नए तराने गाएँ मिलकर !
नए विचारों से महकाएँ,
आंगन अपने बासी मन का
नए भाव से भरें हृदय को,
दामन ख़ुशियों से जीवन का !
नई सोच हो, हृदय मुक्त हो,
सभी पूर्वाग्रह से अब तो,
नई कोंपलें फूटें उर में,
नए रास्ते खोजें अब तो !
नए शब्द हों, नए इरादे,
नया-नया हो क्रम जीवन का,
नई पुलक हो, नव उमंग हो,
नया राग हो नादाँ मन का !
नए साल में, नए ताल में,
नया-नया सुर वादन छेड़ें,
नई थाप हो, नई धुनें हों,
नूतन अंतर प्रीत उलेड़ें !
अब तक सच माना था जिसको,
परखें उस अपने जीवन को,
जो असत्य हो, झट से तज दें,
झिझके नहीं हृदय पल भर को !
बहुत बहुत आभार यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर बहुत सुंदर प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आदरणीय दीदी 💐💐🌷🌷
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी!
हटाएंनई सोच हो, हृदय मुक्त हो,
जवाब देंहटाएंसभी पूर्वाग्रह से अब तो,
नई कोंपलें फूटें उर में,
नए रास्ते खोजें अब तो !
नया वर्ष तो हर वर्ष आता है। नववर्ष का जश्न मनाने के बाद भी हम जीवन में पुरानी और बासी सोच को पकड़े रहते हैं। आपकी यह रचना हमें एक प्रेरक संदेश देती है। नववर्ष की मंगलकामनाएँ।
स्वागत व आभार मीना जी, आपको भी नए वर्ष के लिए मंगलकामनाएँ !
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