शुक्रवार, जुलाई 9

यात्रा विवरण


एक यात्रा सिंगापुर की.....

कोलकाता में रात्रि के दस बज कर दस मिनट हुए थे, और सिंगापुर एयरलाइन्स के जहाज में सीट के सामने लगा स्क्रीन बता रहा था कि... उस वक्त सिंगापुर में बारह बज कर चालीस मिनट हुए थे और..... कोलकाता से सिंगापुर तक २९०५ किमी की यात्रा तीन घंटे चौंतीस मिनटों में पूरी होगी I यह बोईंग खचाखच भरा था, परंपरागत पोषाक पहने सुन्दर परिचारिकाएँ भोजन सामग्री ला रही थीं I जब हमारी बारी आयी, आधी रात बीत चुकी थी I नींद से आखें बोझिल थीं पर धरती से हजारों मील ऊपर कुछ नया खाने का आकर्षण जगाए हुए था, सो थोड़ा कुछ खाकर हम स्वप्न लोक में खो गए I विवाह की पचीसवीं सालगिरह सिंगापुर में मनाने का विचार हमें एक रविवार को बातोँ-बातोँ में आया था, हमारे कई परिचित वहाँ हो आये थे और ढेरों किस्से सुनाते रहते थे. सेंटोसा आइलैंड... बर्ड पार्क.. डाल्फिन शो... तथा अन्य कई रोचक जानकारियाँ हासिल कर हम किसी जागरूक पर्यटक की भांति सिंगापुर जा रहे थे I

एशिया के दक्षिणपूर्व में स्थित विश्व के सबसे छोटे बीस देशों में से एक सिंगापुर काफी समय से पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है I जनवरी २०१० में हमें इस सुंदर द्वीप की यात्रा का सुखद अवसर मिला था I दिन अभी उगा भी नहीं था कि सिंगापुर कस्टम की औपचारिकताओं को पूरा कर हम चांगी हवाई अड्डे से बाहर निकले I सफेद टोयोटा में फ्रांसिस हमें लेने आया था I स्वच्छ सड़कों के किनारे क़तार बद्ध पेड़ लगे थे I लाल बत्ती पर कार रुकी तो हमें थोड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि इतनी सुबह कोई अन्य वाहन नजर नहीं आ रहा था I फिर याद आया कि सिंगापुर मे कानूनों का सख्ती से पालन होता है, यह एशिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में प्रथम है तथा विश्व के दस भ्रष्टाचार मुक्त देशों में से एक है I होटल पहुंचे, फेंगशुई का प्रतीक होटल की बाहरी दीवार पर बहता हुआ पानी, खम्भों पर लिपटा लाल साटन, फूलोँ से सजा मुख्य द्वार, छत से लटके लाल गुब्बारे.... सभी उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे I अठाहरवीं मंजिल पर डीलक्स रूम की खिडकी से जगमगाती रंगीन रोशनियों का मोहक नज़ारा नज़र आया और हम सफर की सारी थकान भूल गए I

भारत में जब लोग सुबह की चाय पी रहे होंगे हम नहा धो कर सिंगापुर का डेढ़ सौ साल पुराना प्रसिद्द बोटैनिकल गार्डन देखने निकल पड़े I होटल से कुछ दूर ही MRT(Mass Rapid Transit) स्टेशन था, जहाँ से हमने एक मददगार स्थानीय महिला की सहायता से स्वचालित मशीन से जुरोंग ईस्ट की टिकट ली, वहाँ से बस द्वारा हम अपने गंतव्य पर पहुँचे I यूँ तो ६४ हेक्टेयर में फैला २००० ट्रॉपिकल पौधों का घर, झीलों में तैरते हंसों तथा मूर्तियों से सजा पूरा बगीचा ही दर्शनीय है, हमें सबसे अधिक आकर्षित किया नेशनल ऑर्किड गार्डन ने, जहाँ रंगों कि अनोखी छटा बिखरी हुई थी I कई दशकों से यहाँ ऑर्किड्स की हाइब्रिड किस्में उगायी जाती रही हैं I पीले रंग के हर शेड में, बैंगनी, लाल, गुलाबी, सफ़ेद, यानि कि सभी शोख रंगों में ऑर्किड्स का मानो एक खजाना था, जो मंत्रमुग्ध कर रहा था I यहाँ बच्चों के लिये भी एक आकर्षक पार्क है I जब घूमते-घूमते हमारे पैरों ने जवाब दे दिया तो हम वापस लौटे I उसी दिन कुछ विश्राम के बाद हम साइंस सिटी देखने निकले, जहाँ विज्ञान के आधुनिकतम विषयों को सैकड़ों नमूनों के द्वारा रोचक ढंग से दर्शाया गया है. जीनोम प्रदर्शनी, माइंड’स आई तथा काइनेटिक गार्डन दर्शनीय हैं I ओमनी थिएटर में हमने सागरीय जीवों पर एक IMAX फिल्म देखी, जिसमें नाचते हुए सर्पों का दृश्य अनोखा था I

इतिहास बताता है कि युरोपियन सिंगापुर में आये इससे पूर्व यह मलय प्रायद्वीप का भाग था I १८१९ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ‘सर स्टैमफोर्ड रैफल्स’ (जिन्हें आधुनिक सिंगापुर का संस्थापक कहा जाता है व जिनकी श्वेत संगमरमर की प्रतिमा हमने सिंगापुर रिवर के तट पर सिटी टूर के दौरान देखी) के नेतृत्व में एक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किया, जो बाद में ब्रिटिश हुकूमत का एक प्रमुख आर्थिक तथा सामरिक केन्द्र बन गया I द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ समय के लिये जापानियों के अधिकार में चले जाने के अलावा सिंगापुर १९६३ तक ब्रिटेन का भाग रहा, तब यह मलेशिया में शामिल हो गया, किन्तु दो वर्षों के बाद १९६५ में स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में कॉमनवेल्थ तथा UNO में दाखिल हुआ I आज अमीर देशों कि सूची में सिंगापुर का स्थान विश्व में पाचवां तथा एशिया में तीसरा है I दिल्ली की आबादी से तिहाई आबादी वाला तथा क्षेत्रफल में आधे से भी कम वाला यह शहर-राष्ट्र दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है I यह ६३ छोटे-छोटे द्वीपों से मिल के बना है, जुरोंग तथा सेंटोसा द्वीप अपेक्षाकृत बड़े हैं I एक वर्ष में यहाँ लगभग १० मिलियन पर्यटक आते हैं I यहाँ का मुख्य आकर्षण है सुंदरता तथा मेहमाननवाजी I यह पर्यटकों के लिये पूर्णतया सुरक्षित स्थान है I यहाँ चीनी, भारतीय, मलय तथा युरेशियन लोग रहते है, मंडारिन, तमिल, मलय तथा अंगरेजी यहाँ की राष्ट्रीय भाषाएँ है I सिंगापुर में वाहनों की संख्या बहुत अधिक है, इसके बावजूद यहाँ प्रदूषण नहीं है I सारा शहर एक बगीचा नजर आता है, हरा-भरा तथा साफ-सुथरा I

अगले दिन हम सिटी टूर पर निकले I आर्ट हाउस, पार्लियामेंट हाउस, विक्टोरिया थिएटर, फुलर्टन होटल देखते हुए हम मर्लिन पार्क में रुके, जहां अर्ध्मत्स्य तथा अर्धसिंह के रूप में ८.६ मीटर ऊँचा श्वेत मर्लिन का बुत है I सिंगापुर का अर्थ ही है सिंह का पुर या नगर, सिंह की एक विशाल मूर्ति सेंटोसा द्वीप में भी है I नेशनल म्यूजियम, एस्प्लेनेड पार्क, वार मेमोरियल पार्क, चाइना टाउन, जेम फैक्ट्री अदि दिखाने के बाद फ्रांसिस हमें सिंगापुर फ्लायर ले गया, १६५ मीटर ऊँचा यह व्हील लन्दन के व्हील से भी ऊँचा है I ऊँचाई से हमने सागर में लंगर डाले अनेकों जहाज देखे I सिंगापुर पोर्ट दुनिया के व्यस्ततम पोर्ट्स में से एक है I यह विश्व का चौथा विदेशी मुद्रा विनिमय केंद्र है I सिंगापुर रिवर ‘मरीना बे’ में सागर से मिलती है, यहाँ स्थित है आधुनिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना एस्प्लेनेड थिएटर, जिसके विशाल कंसर्ट हॉल में हमने एक शाम पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सुना, वह एक अविस्मरणीय अनुभव था I

रात्रि का समय था नाईट सफारी का, सिंगापुर जू से सटा है नाईट सफारी पार्क, जहाँ रात में निकलने वाले जंगली जानवरों को चांदनी का भ्रम देते कृत्रिम प्रकाश में दिखाया गया I रात के अंधेरे में हमारी ट्राम जंगल के बीच से गुजरते हुए एक रहस्यमय वातावरण का निर्माण कर रही थी I ४० हेक्टेयर के क्षेत्रफल वाला यह पार्क सौ से अधिक जातियों के लगभग एक हजार जंगली जानवरों को संरक्षण देता है I
सिंगापुर जू के समान जुरोंग बर्ड पार्क भी एक दर्शनीय स्थान है I यहाँ हमने ‘बर्ड्स एंड बडीज’ तथा ‘बर्ड्स ऑफ प्रे’ दो शो देखे, जिनमें कुशल प्रशिक्षक बाज, हॉक, फालकन तथा रंगबिरंगे तोतों द्वारा खेल दिखाते है I पक्षियों को उनके इशारों पर करतब करते देख सभी दर्शक रोमाचिंत थे I एक खास बात थी शो द्वारा दिया गया सन्देश – रीड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल अर्थात पर्यावरण को साफ रखने के लिये हमें चीजों का इस्तेमाल कम करना चाहिए, दुबारा इस्तेमाल करना तथा व्यर्थ वस्तुओँ को पुनः इस्तेमाल के योग्य बनाना चाहिए I

जुरोंग बर्ड पार्क में ६०० प्रकार के ९००० पक्षी प्राकृतिक वातावारण में रहते हैं I पैनोरेल में बैठकर हमने विशाल उद्यान देखा I यहाँ रंग बिरंगे तोते, शुतुरमुर्ग, पेलिकेन तथा सैकडों की संख्या में गुलाबी फ्लेमिंगो को झील में एक साथ निहारना सुखद अनुभव था I पेंगुइन के लिये आर्कटिक जैसा वातावारण था I हमने डॉल्फिन शो का आनंद लिया, जिसमें चार गुलाबी रंग की डाल्फिनों ने नृत्य तथा गेंद के साथ अनोखे करतब दिखाए, दो छोटे काले रंग के ‘सी लायन’ भी प्रशिक्षक के इशारों पर कलाबाजी दिखाकर दर्शकों को अभिभूत कर सके I ‘अंडरवाटर वर्ल्ड’ में पानी के अंदर एक पारदर्शी सुरंग के द्वारा रंगबिरंगे कोरल, शार्क, स्टोन फिश, जेली फिश, ईल, आक्टोपस, समुद्री कछुए, सी लायन तथा अनेकों प्रकार के समुद्री जीव देखना एक रोमांचक अनुभव था I यहाँ हमने दुनिया के सबसे ऊँचे मानव निर्मित झरने के सामने खड़े होकर फोटोग्राफी की I
सिंगापुर नाम है मस्ती का, समृद्धि का, मेहनत का, स्वच्छता और समन्वय का. यहाँ जिधर देखें लोग स्वस्थ, सम्पन्न व सहज नजर आते हैं I सड़कों के किनारे हरी घास के गलीचे हैं, पेड़ हैं, हरियाली हैI कंक्रीट के जंगल के बीच घास के हरे-भरे मैदान हैं I लोग मुस्तैदी से काम पर लगे हैं, थैंक्यू, सॉरी उनकी जबान पर चढ़े हैं I इन्सान की शक्ति की दाद देनी पड़ती है यहाँ के वैभव को देखकर. औरतें हर क्षेत्र में आगे हैं I दुनिया के सामने मेहनत, ईमानदारी व भाईचारे की मिसाल है यह मुल्क I

सिंगापुर के दक्षिणी भाग में स्थित सेंटोसा द्वीप किसी युग में समुद्री डाकुओं की शरणस्थली हुआ करता था, जो बाद में ब्रिटिश सेना का अड्डा बन गया I आज यह पर्यटकों के लिए एक सुन्दर स्थान है, जहाँ भविष्य में एक थीम पार्क तथा युनिवर्सल स्टूडियो भी बनने वाला है I हमने कई घंटे इस द्वीप पर बिताए I यहाँ भी एक विशाल सफ़ेद मर्लिन है I स्काईटावर पर चढ़ कर दूर तक फैले क्षितिज को देखा I ‘इमेज़ेज ऑफ सिंगापुर’ में पुरानी वस्तुओं तथा ध्वनि व प्रकाश की सहायता से इतिहास की यात्रा की I बच्चों के लिये यहाँ एक तितली पार्क तथा एक कीट पार्क है I यहाँ का मुख्य आकर्षण है ‘सौंग्स ऑफ द सी’ जहाँ अग्नि, जल तथा लेजर किरणों के माध्यम से आकाश में एक अद्भुत दृश्यजाल उत्पन्न कर दिया गया I एक कहानी के इर्दगिर्द बुना प्रकाश, रंगों व संगीत का ताना-बना, समुद्रतट पर बैठे सैकड़ों दर्शकों को एक अनोखे लोक में ले गया I बाद में हमने पूरे कार्यक्रम का एक डीवीडी भी खरीदा I

एक सुबह पैदल चलते हुए हम होटल से कुछ ही दूर स्थित ‘लिटिल इंडिया’ इलाके में पँहुच गए, जहाँ बड़ी संख्या में तमिल रहते है I अगरबत्ती तथा फूलोँ की सुगंध ने हमें मोह लिया I बंदनवार सजे थे, एक विशाल वैन में सीढ़ी पर सवार हो एक व्यक्ति सड़क पर बने द्वार पर तोरण सजा रहा था I भक्ति संगीत हवा में गूंज रहा था, पोंगल की तैयारी जोरशोर से हो रही थी I यहाँ के बाजार बिलकुल भारतीय बाजारों की तरह लग रहे थे I रविवार की संध्या को हमने देखा की लिटिल इंडिया के पार्क तथा सडकों के किनारे के स्थान लोंगो से खचाखच भर गए हैं, पता चला कि सप्ताह में एक बार वे आपस में मिलकर सुख-दुःख बांटते है, तथा भारत आने-जाने वाले लोगों से धन या सामान मंगवाते-भेजते हैं I इसी तरह की भीड़ चाइनाटाउन में चीनी लोगों की होती है I चाइनाटाउन में प्राचीन बौद्ध व चीनी मंदिरों के साथ एक हिंदू मंदिर व मस्जिद भी है, यहाँ पुराने और नए का अद्भुत संगम है. १८२० में यहाँ पहला चीनी व्यापारी आया था, आज यह सिंगापुर का बड़ा व्यापारिक केन्द्र है I

हमारी यात्रा की अंतिम संध्या चायनीज तथा जापानीज़ गार्डन में बीती I यहाँ दो आकर्षक पगोडा तथा एक विशाल झील के चित्र हमने उतारे I पश्चिमी सिंगापुर में स्थित ये विशाल बगीचे बोन्साई तथा सीमेंट के लैम्पों के लिये जाने जाते हैं I ‘चीनी नए वर्ष’ पर चायनीज गार्डन फूलोँ से सजाया जाता है तथा ‘मिड ऑटम फेस्टिवल’ पर सितम्बर में जापानीज़ गार्डन लैम्पों के प्रकाश से जगमगा उठता है I

दुनिया के हर कोने से सिंगापुर आने वाले यात्रियों के साथ गुजारे ये दिन एक सुखद स्मृति बनकर हमें जीवन भर गुदगुदाते रहेंगे ! कल्पना कीजिये आप एक विश्वस्तरीय रंगशाला में बैठे हैं आपके आगे एक चायनीज़ परिवार है, दायें एक ऑस्ट्रेलियाई महिला बैठी है, बाएं यूके से आयी एक नन्ही लड़की है, कुछ दूर पर एक अश्वेत युवक है और सिंगापुरी तो हैं ही, यह शहर जैसे पर्यटकों को ध्यान में रख कर बनाया गया है I हम लौट आये हैं यादों का एक खजाना लेकर और एक सपना लेकर भी कि एक दिन भारत भी अपनी स्वच्छता, पारदर्शिता, ईमानदारी पर गर्व कर सकेगा I

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