मन जैसे मछली सागर में
सुख के साथ छिपा है दुःख भी
जाने यह तो संभले मानव,
सुख के पीछे यूँ न भागे
देव न सही, बने न दानव !
प्राण ऊर्जा नभ में बिखरी
मन जैसे मछली सागर में,
व्यर्थ माँगते व्यर्थ खोजते
भरने खाली उर गागर में !
यहीं छिपा वह रत्न अनोखा
सहज प्राप्य वह छिपा कहाँ है,
मन जो घूमे जग में हर पल
लौटे घर हर खुशी वहाँ है !
थम के देखे हंसेगा मानव
हद है अपने इस प्रमाद की,
जिसको खोजा फिरते थकते
सम्पदा वह निज की ही थी !
कैसा अद्भुत खेल रचा है
मन ने कैसा जाल बिछाया,
झूठमूठ ही भरमा खुद को
घर से बाहर ही भटकाया !
स्वयं ही है हर रूप में मानव
स्वयं को ही है दूर किया,
स्वयं ही बोये पथ में काटें
स्वयं को ही मजबूर किया !
अनिता निहालानी
१ जनवरी २०११
बहुत ही अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
सादर
स्वयं ही है हर रूप में मानव
जवाब देंहटाएंस्वयं को ही है दूर किया,
स्वयं ही बोये पथ में काटें
स्वयं को ही मजबूर किया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...नव वर्ष की शुभकामनायें
बेहतरीन रचना। बधाई। आपको भी नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना !
जवाब देंहटाएंHAPPY NEW YEAR 2011
जवाब देंहटाएंWISH YOU & YOUR FAMILY,
ENJOY,
PEACE & PROSPEROUS
EVERY MOMENT SUCCESSFUL
IN YOUR LIFE.
bahut hi sundar likhti hain aap.
जवाब देंहटाएंbahut achhee kavita .
नववर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएँ.
.......................
ऑडियो क्विज़
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सुख के पीछे यूँ न भागे
जवाब देंहटाएंदेव न सही, बने न दानव !
बहुत अच्छी कविता.
नववर्ष की शुभकामनाएँ...
कैसा अद्भुत खेल रचा है
जवाब देंहटाएंमन ने कैसा जाल बिछाया,
झूठमूठ ही भरमा खुद को
घर से बाहर ही भटकाया !
बहुत सही लिखा है -
सुंदर रचना -
नववर्ष की शुभकामनाएं
अच्छी पोस्ट ,नववर्ष की शुभकामनाएं । "खबरों की दुनियाँ"
जवाब देंहटाएंस्वयं ही बोया , स्वयं ही काटा ...
जवाब देंहटाएंसही कह दिया ...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
गहरे अर्थो को समेटती एक सशक्त रचना.
जवाब देंहटाएंअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.......इस एक लाइन में सब कुछ कह दिया है आपने.....
देव न सही, बने न दानव