बोले मियां लाल बुझक्कड़
अपना हाल बुरा है यारों अपना हाल बुरा
लूट लिया है जग वालों ने दिल का हाल बुरा !
छोटे थे तो घरवालों की खूब धुनाई खाई
विद्यालय में मास्टर जी ने लम्बी छड़ी दिखाई !
इश्क ने मारा भरी जवानी हुई बड़ी रुसवाई
बात बनी जब बनते-बनते घोड़ी थी अकड़ाई !
तब से हम हैं मुफ्त के सेवक धरी रही चतुराई
एक मधुर मुस्कान के हित सारी तनख्वाह लुटाई !
आधा जीवन बीत चुका दुनियादारी न आयी
कटते-कटते कट जायेगी बाकी भी अधियाई !
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
Aise hi kat jayega jivan ...
जवाब देंहटाएंकल 26/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत बढ़िया ... नया अंदाज़ लिखने का ..
जवाब देंहटाएंअनीता जी, बहुत खूब लिखा हैआपने।
जवाब देंहटाएं.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
हा...हा....हा....बहुत खूब.....बाकी भी कट ही जाएगी|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंदाज... :)))
जवाब देंहटाएंसादर...