भीतर जल ताजा है
माना कि जिंदगी संघर्ष है
कई खतरनाक मोड़ अचानक आते हैं
कभी इसको तो कभी उसको हम मनाते हैं
भीतर कहीं गहराई में जिंदगी बहती है
दू.....र टिमटिमाती गाँव की रोशनी की तरह....
ऊपर-ऊपर सब सूखा है, धुंध, धूल, हवा से ढका
आंधियों से घिरा
पर भीतर जल ताजा है
स्वच्छ, अदेखा, अस्पर्श्य, अछूता
माना कि अभी पहुँच नहीं वहाँ तक
उसकी ठंडक महसूस होती तो है
शिराओं में...
उस धारा को बना कर नहर ऊपर लाना है
जो दिखता है दूर उसे निकटतम बनाना है !
बहुत ही सुन्दर है कविता अनीता जी.....
जवाब देंहटाएंमाना कि जिंदगी संघर्ष है
कई खतरनाक मोड़ अचानक आते हैं
कभी इसको तो कभी उसको हम मनाते हैं
भीतर कहीं गहराई में जिंदगी बहती है
हैट्स ऑफ इसके लिए|
बहुत अच्छी बात अपने कह डाली कितनी सादगी से...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
टायपिंग की गलती हुई है..अदेखा को अनदेखा कर दें..
सादर.
खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आपकी
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई
वाह!!
जवाब देंहटाएंऊपर-ऊपर सब सूखा है, धुंध, धूल, हवा से ढका
आंधियों से घिरा
पर भीतर जल ताजा है
स्वच्छ, अदेखा, अस्पर्श्य, अछूता
..
बहुत सुन्दर रचना...
सादर.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल शनिवार .. 04-02 -20 12 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचलपर ..... .
कृपया पधारें ...आभार .
ऊपर-ऊपर सब सूखा है, धुंध, धूल, हवा से ढका
जवाब देंहटाएंआंधियों से घिरा
पर भीतर जल ताजा है
aur jl hi jeevan hai..
बहुत सुन्दर भाव हैं |उत्तम रचना है अनीती जी |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहतरीन रचना.....सराहनीय.......
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता, कुत्ता और वेश्या
वाह! खूबसूरत प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंभीतर के जल में स्नान किया जाए
उसका आचमन किया जाए,तो बेडा पार हो जाए.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,अनीता जी.
आप सभी सुधीजनों का स्वागत व आभार ! विद्या जी, अबोला व अजाना की तरह अदेखा भी मान्य शब्द है, जहाँ तक मेरी जानकारी है.
जवाब देंहटाएंओह!मुझे लगा शायद गलती से हुआ होगा.
हटाएं:-)
चलिए मेरा ज्ञान ही बढ़ गया कुछ.
आभार.
बहुत सुन्दर भाव .. जीवन में निरंतर संघर्ष हैं ..
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअदृश्य डोर को सुन्दर तरीके से समझा दिया है आपने..जो हमें लिए चलती है..अच्छी लगी रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति. बधाई.
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