सोमवार, फ़रवरी 20

शिवरात्रि के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें


शिवरात्रि पर

एक झलक जो तेरी पाए
तेरा दीवाना हो जाये,
गा-गा कर फिर महिमा तेरी
मस्त हुआ सा दिल बहलाए !

तू कैसी सरगोशी करता
जो जैसा, तुझे वैसा देखे,
पल–पल चमत्कार दिखलाता
बुद्धि खा जाती है धोखे !

कौन जान सकता है तुझको
अगम, अगोचर, अकथ, अनंत,
एक प्रखर आलोक अनोखा
जिसका कभी न होता अंत !

नभ के सूरज उगते मिटते
भीतर तेरा सूर्य अजर है,
तू अकम्प सदा है प्रज्वलित
परम उजाला वही अमर है !

तू करुणा का सिंधु अपरिमित
नहीं पुकार अनसुनी करता,
जो तुझको आधार बनाता
अंतर वह निज प्रेम से भरता !


   

11 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमः शिवाय!
    इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
    सुन्दर रचना!

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  2. कौन जान सकता है तुझको
    अगम, अगोचर, अकथ, अनंत,
    सुन्दर रचना...
    ओम् नमः शिवाय!!

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  3. तू करुणा का सिंधु अपरिमित
    नहीं पुकार अनसुनी करता,
    जो तुझको आधार बनाता
    अंतर वह निज प्रेम से भरता !

    ॐ नमः शिवाय.....

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  4. बम भोले!
    ये तो औढर दानी हैं। सबकी सुनते हैं।

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  5. ओम् नमः शिवाय....
    बढ़िया रचना...
    शिवरात्री की बधाईयां...

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  6. ओम नमः शिवाय ...
    जय हो भोले बाबा की ...

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  7. आपको भी बहुत शुभकामनायें।

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  8. आप सभी का हार्दिक स्वागत व आभार!

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