आया वसंत झूम के
धूप ने पिया जब फूलों का अर्क
भर गयी ऊर्जा उसके तन-बदन में....
कल तक नजर आती थी जो कृश और कुम्हलाई
आज कैसी खिल गयी है...
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
धरा ने ली अंगड़ाई
भर दिया वनस्पतियों में यौवन
सिकुड़ी, सूखी सी दिखती थी जो डाल
आज पल्लवों से मिल गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
पाले में ढके, कोहरे में कैद खेत
झूमने लगे पा परस
वासन्ती हवा का
चुप सी खड़ी थी जो सरसों की हर वह कली
आज फूल बन के घर से निकल गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
अंतर में हुलस उठी बालकों, बड़ों सबके
ठंड से जो थी बेहाल
घरों में बंद थी, हुल्लड मचाने
टोली उनकी फूलों के घर गयी है
वसंत के आने खबर उसको भी मिल गयी है !
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
सादर.
bahut badhia likha hai ...Anita ji ...
जवाब देंहटाएंबसंती बयार में झूमता सा समां.....बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंबहुत सधी हुई कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
वाह खूबसूरत बासंती कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, बासंती रचना ......
जवाब देंहटाएंधरा ने ली अंगड़ाई
जवाब देंहटाएंभर दिया वनस्पतियों में यौवन
सिकुड़ी, सूखी सी दिखती थी जो डाल
आज पल्लवों से मिल गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
बहुत ही सुन्दर रचना .
Life is Just a Life
My Clicks
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सुन्दर....बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंनेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
बसंती अहसासों में भिंगोती रचना..
जवाब देंहटाएंकल 13/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंसादर.
बसंती भावों की भावभीनी भावाभिव्यक्ति हेतु बधाई !!
जवाब देंहटाएंवसंत के आगमन का बहुत ही सुन्दर प्रभावपूर्ण चित्रण!
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