उसने कहा था
सारी कायनात भी छोटी पड़ती है
प्रेम लुटाने के लिये मुझे
और झगड़ने के लिये भी तुम्हें
मेरी जरूरत पड़ती है....
मैं तुम्हें प्रेम कर सका
क्योंकि मैंने चाहा सम्पूर्ण अस्तित्त्व को
तुम खफा हो मुझसे भी
सारी दुनिया नजर आती है शायद
दुश्मन तुम्हें...
अकारण चहकता है मेरा मन
क्योंकि जीवन एक रहस्यमय घटना है
तुम उदास हो
हर शै की तह तक जाकर भी....
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंमैं तुम्हें प्रेम कर सका
क्योंकि मैंने चाहा सम्पूर्ण अस्तित्त्व को
तुम खफा हो मुझसे भी
सारी दुनिया नजर आती है शायद
दुश्मन तुम्हें...
बहुत खूब अनीता जी...
सादर.
प्रेम की परिणीति को सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया गया है....बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंसारी कायनात भी छोटी पड़ती है
जवाब देंहटाएंप्रेम लुटाने के लिये मुझे
और झगड़ने के लिये भी तुम्हें
मेरी जरूरत पड़ती है....
....बहुत खूब! बहुत भावपूर्ण और सुंदर रचना...आभार
प्रेम की नज़रों से देखें तो कण कण में प्रेम ही है और हर पल आनंद ! बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंmarvelous ..
जवाब देंहटाएंvery insightful writing..
उदासी तभी आती है, जब चाहत गहरी होती है।
जवाब देंहटाएंमनोज जी, अपने ठीक कहा जब चाहत गहरी होती है तब विरह सताता है...लेकिन क्या वह उदासी भी अपने में एक सुख नहीं छिपाए होती है.
हटाएंक्या कहूँ …………गज़ब …………
जवाब देंहटाएंवाह..... वाह..... विपरीतता....अस्तित्व से जुड़ कर सब अपना ही हो जाता है ।
जवाब देंहटाएंbahut sunder...
जवाब देंहटाएंसारी कायनात भी छोटी पड़ती है
जवाब देंहटाएंप्रेम लुटाने के लिये मुझे
और झगड़ने के लिये भी तुम्हें
मेरी जरूरत पड़ती है....
लेकिन सच्चाई तो यही है.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
मैं तुम्हें प्रेम कर सका
जवाब देंहटाएंक्योंकि मैंने चाहा सम्पूर्ण अस्तित्त्व को
तुम खफा हो मुझसे भी
सारी दुनिया नजर आती है शायद
दुश्मन तुम्हें...
bahut hi gahantam abhivyakti ...badhai anita ji .
अपनी अपनी सोच के गुलाम हैं सभी ... कोई खुशी ढूँढता है कोपी उदासी एक ही चीज़ में ...
जवाब देंहटाएंरोने के लिए भी बहाना..सुन्दर लिखा है..
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