उड़ान भरता है प्रेम
जैसे चन्द्रमा की ललक, उछाल देती है सागर को
ज्वार चढ़ता है जल तरंगों में
और स्वतः ही लौट आता है
अधूरे मिलन की कसक लिये...
वैसे ही मेरा मन ओ प्रियतम !
खिंचता है तेरी ओर
पर हर बार और प्यासा होकर
लौट आता है....सिमट आता है स्वयं में
भाटा लौटा न लाए अगर ज्वार को
क्या तहस-नहस न कर देगी लहरें
तोड़ती हुई सारी दीवारों को...
जन्म और मृत्यु दोनों पर टिकी है सृष्टि
मिलन और विरह दोनों पंख लगा कर
उड़ान भरता है प्रेम
ऊँचे आकाश में....
जब थाप पड़ती है
नृत्य की सधे हुए कदमों से
वही आगे गए कदम पीछे भी लौटते हैं
गति, लय युक्त हो तभी मोहती है
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
वैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...पर पुनः मिलने के लिये !
यही तो उसकी महिमा है कभी अपना बन जाता है और कभी छुप छुप जाता है मोहन प्रेम के अद्भुत रंग दिखाता है ………
जवाब देंहटाएंह्म्म्म...
जवाब देंहटाएंशायद यही जीवन चक्र भी है...
सुन्दर..
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
जवाब देंहटाएंवैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...पर पुनः मिलने के लिये !
शास्वत सत्य को कहती सुन्दर प्रस्तुति
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
जवाब देंहटाएंवैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...पर पुनः मिलने के लिये !
कितनी गहरी और दिव्य बात कही है ...
बहुत सुंदर रचना ....अनीता जी ....
और स्वतः ही लौट आता है
जवाब देंहटाएंअधूरे मिलन की कसक लिये...
वैसे ही मेरा मन ओ प्रियतम !
खिंचता है तेरी ओर
पर हर बार और प्यासा होकर
लौट आता है....सिमट आता है स्वयं में
बहुत सुन्दर शब्दों में ढली शानदार पोस्ट.....घटता और बढ़ता चाँद तस्वीर में बड़ा प्यारा लगा|
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
जवाब देंहटाएंवैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...पर पुनः मिलने के लिये !
...एक शास्वत सत्य जिसे हम जानबूझ कर नहीं समझाना चाहते...बहुत सुंदर प्रस्तुति..आभार
प्रेरक और खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंपर हर बार और प्यासा होकर
जवाब देंहटाएंलौट आता है....सिमट आता है स्वयं में
भाटा लौटा न लाए अगर ज्वार को
क्या तहस-नहस न कर देगी लहरें....
ek ek shabd nishabd karta saty ka paarkhi.
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
जवाब देंहटाएंवैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...पर पुनः मिलने के लिये !
जीवन की सच्चाई है... गहन अभिव्यक्ति... आभार
जब थाप पड़ती है
जवाब देंहटाएंनृत्य की सधे हुए कदमों से
वही आगे गए कदम पीछे भी लौटते हैं
गति, लय युक्त हो तभी मोहती है
आरोह के बाद अवरोह जरूरी है
वैसे ही तू मिल कर बिछड़ता है...
पर पुनः मिलने के लिये
superb.....!!
तस्वीर अद्भुत है।
जवाब देंहटाएंकविता - जीवन की अभिव्यक्ति का सच।
जन्म और मृत्यु दोनों पर टिकी है सृष्टि
जवाब देंहटाएंमिलन और विरह दोनों पंख लगा कर
उड़ान भरता है प्रेम
ऊँचे आकाश में....
ये जीवन अपने आप में इश्वर की रची कविता है ... और वो ही इसका आदि है वो ही अंत ...
बधुर भाव लिए ...
जन्म और मृत्यु दोनों पर टिकी है सृष्टि
जवाब देंहटाएंमिलन और विरह दोनों पंख लगा कर
उड़ान भरता है प्रेम
ऊँचे आकाश में....
bahut gahan abhivyakti,
bahut sunder rachna........