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शुक्रवार, जनवरी 17

प्रेम


प्रेम 


एक-दूजे को समझते हुए 
एक दूजे को ऊपर उठाते हुए 
साथ-साथ जीने का नाम ही प्रेम है 
अहंकार तज कर हँसते-हँसते हर मान-अपमान को 
सहने का नाम ही प्रेम है 
दूसरे को प्रीतिकर हों ऐसे वचन ही मुख से निकलें 
इस सजगता का नाम ही प्रेम है 
सब कुछ साझा है इस जहाँ में 
हर कोई जुड़ा है अनजान धागों से,
धरा, गगन, पवन, अनल और सलिल के साथ 
जुड़ाव महसूस करने का नाम ही प्रेम है 
मैत्री और साहचर्य का आनन्द लेने और बाँटने का नाम ही प्रेम है 
मुक्त है यह प्रेम एकाधिकार से, दुःख और घृणा से 
जो बाँधता नहीं मुक्त करता है 
अनंत से मिलाने का दम रखता है 
अंतर में शांति और आनंद भरता है 
एक समन्वय, सामंजस्य और बोध का नाम ही प्रेम है !  

मंगलवार, अगस्त 23

छोटा सा जीवन यह सुंदर

छोटा सा जीवन यह सुंदर

थम कर पल दो पल बैठें हम
होने दें जो भी होता है,
रुकने का भी है आनंद
चलना तभी मजा देता है !

स्वयं ही चलती रहतीं श्वासें
जीवन भीतर धड़क रहा है,
जिसने सीखा है विश्राम
दौड़ लगाना व्यर्थ हुआ है !

छोटा सा जीवन यह सुंदर
अल्प जरूरत है इस दिल की,
काफी से भी ज्यादा पाया
कुदरत सदा बांटती रहती !


बुधवार, जुलाई 3

एक विजय प्रयाण चल रहा

एक विजय प्रयाण चल रहा


एक विजय प्रयाण चल रहा
हर क्षण इक संग्राम चल रहा,
भेदन, शोधन, संवर्धन का
प्रतिपल इक अभियान चल रहा !

गहन गुफाओं से अंतर की
धाराएँ ऊपर उठती हैं,
सौम्य भाव बहे अम्बर से
संग मेघ रूप धरती हैं !

इक सागर ज्योति का जिस पर  
गहन आवरण अन्धकार का,  
एक परम ऊर्जा सोयी  
इक आनंद है महाकार सा !

कोई अविरत सदा जगाता  
चरैवेति का मंत्र सुनाता,  
दुख दानव बलशाली कितना  
सुख देव की विजय कराता !  

प्रतिपल कोई साथ हमारे
सिर पर हाथ धरे है चलता,
विजय सत्य की ही होती है
स्वपन अगन सा जलता रहता !

दिव्य लोक से आवाह्न इक
अभीप्सा सत्य की जगाये,
आरोहण करने की प्रेरणा
निर्मल मन में भरती जाये !