सुर में भरकर गा लेना है
प्रस्तर में मूरत तो है ही 
केवल व्यर्थ हटा देना है, 
इस जीवन में अर्थ घटेगा 
केवल व्यर्थ घटा देना है !
शब्दों में ही छुपा गीत है 
केवल उन्हें बिठा देना है,
छंदों से संगीत बहेगा 
सुर में भरकर गा लेना है ! 
माटी में ही गंध छिपी है 
उपवन एक बना लेना है,
सुमनों से ही मधु टपकेगा
भ्रमरों को चुरा लेना है !
हर अंतर में प्रीत छिपी है
नयनों में बसा लेना है,
हाथों में सौभाग्य की रेखा 
आगे बढ़कर पा लेना है !

सकल पदारथ हैं जग माँहीं !
जवाब देंहटाएंशब्दों में ही छुपा गीत है
जवाब देंहटाएंकेवल उन्हें बिठा देना है,
........ऐसे रचना तो लाजवाब है