चुने राह के कंटक अनगिन
वरदानों को शाप
मानकर
रहा खोजता द्वार
सुखों का,
राह ताकता भटका
राही
प्रियतम उर से
कहीं निकट था !
तन कंचन सा कोमल
अंतर
श्वासों की दी
अद्भुत माला,
मेधा, प्रज्ञा शक्ति
अनोखी
नयनों में भर
दिया उजाला !
उऋण कहाँ तिल भर
भी होगा
हर पल भी यदि कोई
गाये,
चुने राह के कंटक
अनगिन
पाहन पथ के दूर
हटाये !
अलबेला मतवाला
प्रियतम
सदा उलीचता निज
भंडार,
झोली फटी अंजुरी
छोटी
कहाँ भरेगा अकोर
अपार !
जीवन का उपहार
अनोखा
कदर न जाने
दीवाना दिल,
हीरे-मोती सी
श्वासों में
अश्रु पिरोये
अंतर बोझिल !
प्रियतम तो सबसे निकट ही होता है ... वो दृष्टि नहीं मिल पाती ... और जब साक्षात्कार होता है तो अलबेले प्रीतम से एकप्राण हो जाता है जीवन ....
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने..स्वागत व आभार दिगम्बर जी !
हटाएंउम्दा!
जवाब देंहटाएंअंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अन्नत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
वाह बहुत ही सुन्दर , आपके शब्दों का चयन और प्रयोग , आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | बहुत सारी शुभकामनायें आपको | सादर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अजय जी..
हटाएंहर पल साथ होने पर भी, सांसारिक जालों में भ्रमित होकर, अपने को कितना दूर कर लेते हैं उस प्रियतम से...बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने जो सदा है उसे न देखकर हम उसे ही देखते रहते हैं जो आज है कल नहीं रहेगा ..
हटाएंसुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 03 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअनीता जी, आपके शब्द प्रभावशाली हैं , यूँ ही लिखते रहें
जवाब देंहटाएंजाने कितने ही बार हमें, मौके पर शब्द नहीं मिलते !
बरसों के बाद मिले यारो,इतने निशब्द,नहीं मिलते ! -सतीश सक्सेना
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत बहुत आभार आपकी मंगल कामनाओं के लिए..इसी तरह आते रहिये..हिंदी ब्लौगिंग का भविष्य उज्ज्वल है.
जवाब देंहटाएंवाह ! लाजवाब !! बहुत सुंदर आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार राजेश जी..
हटाएंरचना में दार्शनिक चिंतन हमारी भटकन को राह दिखाता है। सुन्दर भावाभियक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! कैसे उऋण हो पाएँ हम उसके प्रेम से,उसकी हर देन अनुपम है....
जवाब देंहटाएंतन कंचन सा कोमल अंतर
श्वासों की दी अद्भुत माला,
मेधा, प्रज्ञा शक्ति अनोखी
नयनों में भर दिया उजाला !