बुधवार, जून 9

नूतन तरु के गात हो रहे

 नूतन तरु के गात हो रहे 

निर्मल गंगाजल से बहते  

तुम ही श्यामल घन बन बरसे, 

चिन्मय ! चेतनता बन रहते 

है कण-कण में गति भी तुमसे !


खो, पुनः-पुनः तुम्हें पाना है 

जैसे दिन और रात हो रहे, 

नित नवीन संबंध जुड़े ज्यों 

 नूतन तरु के गात हो रहे !


शब्दों को आशय तुम देते 

वाणी के तुम संवाहक हो, 

तुम्हीं प्रेरणा लक्ष्य भी तुम्हीं 

शुभता के शाश्वत वाहक हो !


तुम बिन रहे अधूरा सा सब 

जीवन अर्थवान हो तुमसे, 

मननशील हो मानस जिनका 

मनुज वही बन पाते ऐसे !


11 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों को आशय तुम देते

    वाणी के तुम संवाहक हो,

    तुम्हीं प्रेरणा लक्ष्य भी तुम्हीं

    शुभता के शाश्वत वाहक हो !--बहुत अच्छी पंक्तियां...।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 10 जून 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर रचना ...

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  4. निर्मल गंगाजल से बहते

    तुम ही श्यामल घन बन बरसे,

    अद्भुत भाव,
    गतिमय, मतिमय
    जीवन कृतिमय

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  5. तुम बिन रहे अधूरा सा सब

    जीवन अर्थवान हो तुमसे,

    मननशील हो मानस जिनका

    मनुज वही बन पाते ऐसे !


    बहुत खूब,लाजबाब सृजन सादर नमन

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  6. कण कण में ईश्वर का वास, बहुत सुन्दर!!

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  7. वाह! तरलता से शुभ्र भाव बह रहे हैं ।
    आत्मा को तृप्त करता सृजन ।
    सुंदर भाव सुंदर शब्द सौष्ठव।

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  8. तुम बिन रहे अधूरा सा सब

    जीवन अर्थवान हो तुमसे,

    मननशील हो मानस जिनका

    मनुज वही बन पाते ऐसे !..जीवन का आशय समझाती सुन्दर रचना ।

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  9. आप सभी सुधीजनों का स्वागत व आभार !

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  10. आशा उम्मीद और ऊर्जा की बात करती हुई रचना ... लाजवाब ...

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