अनादि -अनंत
चाहे कितना भी हो विघटन
समाज बंटे, टूटे परिवार
व्यक्ति रह जाए अकेला
पर सदा साथ रहती है उसके
एक अखंड आत्मा !
चाहे व्यक्तित्व बंटा हो
मन बिखरा हो
भीतर भीड़ नज़र आती हो
पर सदा साथ रहता है एक परमात्मा
नहीं, यहाँ कभी कोई हानि नहीं होती
फूल आज झरता है
कल एक नयी कली जन्म लेती है
सभ्यताएँ नष्ट होती हैं
फिर नई पनपने लगती हैं
यह एक अनंत प्रक्रिया है
नहीं, भय की कोई बात नहीं
हम सदा ही सुरक्षित हाथों में हैं
ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती न ही पदार्थ
वे रूप बदलते हैं एक दूसरे में !
जीवन में आशा का संचार करती रचना !
जवाब देंहटाएंवाह, उत्कृष्ट जीवन दर्शन को शब्द देती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंऊर्जा नष्ट नहीं होती ... रूप बदलती है ...
जवाब देंहटाएंहम प्रकाश पुंज से एक से दूजे में जाते रहते हैं ... यही तो आत्मा भी है ... नष्ट नहीं होती ... शरीर बदलती है ...
स्वागत व आभार !
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