गुरु पूर्णिमा
गुरु बंधन से मुक्त कराते
अंधकार में भटक रहे जो,
उन जीवों को, शुभ प्रकाश का
अनुपम सुंदर मार्ग दिखाते !
अंधकार में भटक रहे जो,
उन जीवों को, शुभ प्रकाश का
अनुपम सुंदर मार्ग दिखाते !
छुपी हुए अपनी नज़रों से
स्वयं के भीतर जो शक्ति है,
आत्मज्योति प्रज्ज्वलित करके
उससे शुभ परिचय करवाते !
स्वयं के भीतर जो शक्ति है,
आत्मज्योति प्रज्ज्वलित करके
उससे शुभ परिचय करवाते !
ज्ञान, क्रिया, भजनों के द्वारा
शुद्ध करें मन, बुद्धि सहज ही,
महाप्रेम से करुणामय वह
फिर अनंत पथ पर ले जाते !
शुद्ध करें मन, बुद्धि सहज ही,
महाप्रेम से करुणामय वह
फिर अनंत पथ पर ले जाते !
मूर्त रूप हैं ज्ञान-भक्ति का
गुरु की महिमा कौन जानता,
नज़रों से हर ताप मिटाते
वचनों से सदा अमृत बहता !
संतों की वाणी अनुपम है
गुरू पूर्णिमा स्मरण दिलाती,
चरणों पर यदि शीश झुका हो
आनंद वर्षा में सिझाती !
गुरू पूर्णिमा स्मरण दिलाती,
चरणों पर यदि शीश झुका हो
आनंद वर्षा में सिझाती !
अपूर्व आनंद वर्षा ... गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई ...
जवाब देंहटाएंगुरु के चरणों में ही जीवन सार्थक रहता है ... गुरु ही दिशा देता है ...