रक्षा बंधन
यह सनातन संस्कृति की
रक्षा का सूत्र है
जिसे बचाया अनेक युगों से
भाई-बहनों की पावन प्रीत ने
जीवित रखी वह परंपरा
जहाँ घर लौटेगी पुत्री
और स्वागत करेगी श्रावण पूर्णिमा
वर्षा ऋतु की आने कठिनाइयों को भुला
आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है
इस एक उत्सव में
छुपे हैं अनेक उत्सव
जो उत्साह से भर देता है
सीमा पर तैनात वीर जवानों को !
सूत या रेशम की
छोटी सी एक डोरी
कह देती है वह
जो शब्द नहीं कह सकते
मस्तक पर लगाया
रोली अक्षत का तिलक
ले जाए वह संदेश
जो कर न पाए सम्प्रेषित
दुनिया की कोई भाषा
शायद प्रतीकों में छुपा है
इस जीवन का सत्
नेह का मर्म और संबंधों की मिठास
घंटों तक किए वार्तालाप भी
एक स्नेहिल दृष्टि से कम हैं
यदि कोई पढ़ सके
मौन की अनुपम भाषा
राखी सोने-चाँदी की
या कते सूत की
वही जानते हैं उसकी क़ीमत
जो उसमें भेजी
अंतर की नमी को
महसूस कर ले
भावों की महीन तरंगें
छू जाए जिन्हें !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 11 अगस्त 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत अच्छी सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!
स्वागत व आभार!
हटाएंसुंदर भावों से गुँथी सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंत्योहार की मिठास जीवन को सकारात्मकता से भर देते हैं।
सादर।