शुक्रवार, नवंबर 15

प्यास

प्यास 


सब कुछ बेमानी लगता है जब 

कुछ भी समझ नहीं आता 

क्या करना है 

क्यों करना है 

कोई जवाब मन नहीं पाता 

रोज़मर्रा के काम जब अर्थहीन लगते हैं 

कुछ नया है 

पर पकड़ में नहीं आता है 

एक सवाल सा मन में सदा बना रहता है 

जवाब कोई देता हुआ सा नहीं लगता 

एक मौन घेर लेता है जब तब 

चुपचाप बैठ कर उसे सुनने का मन होता है 

शायद उस मौन से ही कोई जवाब आएगा 

बाहर तो कुछ भी आकर्षित नहीं करता 

किसी और लोक में बसता है शायद वह 

जो भीतर ऐसी प्यास भरता है 


9 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 17 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. मनोस्थिति कई बार होती है ऐसी., बहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन ।

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  3. कभी कभी नहीं, अक्सर ही ऐसा ख्याल दिल में आता है, जिसको आपने करीने से शब्दों में पिरोया है।
    बहुत खूब❣️

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