ख्वाब और हकीकत
कौन सपने दिखाए जाता है
नींद गहरी सुलाए जाता है
होश आने को था घड़ी भर जब
सुखद करवट दिलाए जाता है
मिली ठोकर ही जिस जमाने से
नाज उसके उठाए जाता है
गिन के सांसे मिलीं, सुना भी है
रोज हीरे गंवाए जाता है
पसरा है दूर तलक सन्नाटा
हाल फिर भी बताए जाता है
कोई दूजा नहीं सिवा तेरे
पीर किसको सुनाए जाता है
टूट कर बिखरे, चुभी किरचें भी
ख्वाब यूँही सजाए जाता है