शुक्रवार, फ़रवरी 11

चलन दुनिया का

चलन दुनिया का

 जग का पहिया झूठ से चलता 
भागे कोसों सच से डरता,  
सदा मुखौटा ओढ़े रहता
पाखंडों पर ही यह पलता !

जाने किसका महाजाल है
जाने इस को क्या मलाल है,
थोड़ी सी वाह वाही सुन के
क्या पा लेने का ख्याल है ?

वाणी का वरदान था पाया
व्यर्थ ही उससे राग बढ़ाया,
झूठे आश्वासन को पोषा
वाणी को हथियार बनाया !

सम्बन्धों की गरिमा खो दी
झूठ ने सारी महिमा धो दी,
सच के बाने पहने आता
 दिल में दूरी, कटुता बो दी !

अनिता निहालानी
१० फरवरी २०११


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