सरस्वती पूजा भाती
माघ मास के शुक्ल पक्ष की
तिथी पंचमी जब आती,
खिलते दिगंत, आता वसंत
सरस्वती पूजा भाती !
विद्या, बुद्धि, ज्ञान, वाणी की
मेधा, प्रज्ञा, धी, स्मृति की,
माँ भारती, हंसवाहिनी
आद्या शक्ति परमेश्वर की !
वीणापाणि, श्वेताम्बरा
कुमुदी, गिरा अनेकों नाम,
भाषा, वाक्, वाग्देवी
बारम्बार तुम्हें प्रणाम!
श्वेत हँस वाहन सुंदर
श्वेत कमल आसन विराजे,
दो हाथों में वाद्य उठाये
वेद, पुष्प शेष में साजे !
अमृतमय, प्रकाश पुंज तुम
कृपा बरसती है प्रतिपल,
शुद्ध प्रेममय, तेजोमय हे
मन में बसो सदा अविचल !
अनिता निहालानी
७ फरवरी २०११
मनमोहक, सुन्दर शब्द प्रयोग और काव्य स्तर को उच्च स्वरुप देती एक बहुत ही प्यारी रचना जो भव और भंगिमा दोनों से संतुलित है. इसकी गेयता की योग्यता काव्य के महत्वा को बढाती है. मनमोहक रचना के लिए देवी सरस्वती आपकी मनोरथ पूरी करें इस अपेक्षा के साथ हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंaapko bhi basant panchmi kee hardik shubhkamnaye .sundar rachna ke liye badhai .
जवाब देंहटाएंअनीता जी,
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर.....माँ सरस्वती की कृपा आप पर हमेश बनी रहे....
बसंत पंचमी की शुभकामनाये|
मनमोहक रचना
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए