सुख और दुःख 
सुख की चाह एक भ्रम ही तो है 
दुःख की पकड़ ही असली चीज 
अपने होने का सबूत देता है दुःख 
सुख है खुद को मिटाने की तरकीब 
छूटना है दुःख से तो देनी होगी सुख को राह 
मित्र बनाने की उसे भीतर भरनी होगी चाह 
बंट रहा है मुफ्त सुख 
पर उसका कोई खरीदार नहीं 
बहुत ज्यादा है दुःख की कीमत
अमीर कहलाने की किसको दरकार नहीं 
सुख मुक्त करता है दुनिया के जंजाल से 
यह भाव है खोने का 
व्यस्त रखता है दुःख
देता है भरोसा कुछ होने का !

जीवन के साथ जुड़े सुख-दुख एक पहेली बन कर रह जाते हैं!
जवाब देंहटाएंसुख एक विस्मृति है अपने आप से, सच में दुःख ही हमें अपनी निहित शक्तियों से परिचित करता है. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंप्रतिभाजी व कैलाश जी, स्वागत व आभार !
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