वही एक है
एक मधुर धुन वंशी की ज्यों
एक लहर अठखेली करती,
एक पवन वासन्ती बहकी
एक किरण कलियों संग हँसती !
एक अश्रु चरणों पर पावन
एक दृष्टि हर ले जो पीड़ा,
एक परस पारस का जैसे
एक शिशु करता हो क्रीड़ा !
एक परम विश्राम अनूठा
एक दृश्य अभिराम सजा हो,
एक स्वप्न युगों तक चलता
एक महावर लाल रचा हो !
एक मन्त्र गूँजे अविराम
एक गीत लहरों ने गाया,
एक निशा सोयी सागर पर
एक उषा की स्वर्णिम काया !
उस एक में ही सब सम्मोहित हो जाएँ तो जीवन पूर्ण हो जाए ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसटीक दर्शन
जवाब देंहटाएंएक अच्छी प्रस्तुति
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