समय
‘समय ठहर गया है’
जब कहता है कोई
तो एक सत्य से उसका परिचय होता है
समय ठहरा ही हुआ है अनंत काल से !
गतिमान वस्तुएं
उसके चलने का भ्रम पैदा कर देती हैं !
‘समय भाग रहा है’
कहता है जब कोई
वह एक अन्य तथ्य को दर्शाता है
भाग रहा है उसका मन
किसी न किसी शै के पीछे !
‘समय उड़ता हुआ सा लगता है’
जब कोई आनंदित होता है
और ठहर जाता है खुद में !
‘काटे नहीं कटता जब समय’
कोई अंधेरे में भटक रहा है
अपनी पीड़ा को टाँक देता है समय पर !
समय कम है उसके लिए जो महत्वाकांक्षी है
समय खराब है उसके लिए जो भाग्यवादी है
समय अच्छा है आशावादी के लिए
हर समय समान नहीं होता यथार्थवादी के लिए !
ज्ञानी जानता है
समय एक कल्पना है
वास्तव में एक बार में एक ही क्षण
मिलता है जीने के लिए !
समय के रूपक द्वारा अनमोल जीवन-दर्शन को सरल भाषा में समझा दिया आपने अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार जितेंद्र जी !
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-03-2021 को चर्चा – 4,016 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसमय को अपने लिए भी समय नहीं है
जवाब देंहटाएंएक गाना याद आया ..
जवाब देंहटाएंआगे भी जाने न तू , पीछे भी जाने न तू
आपने भी ऐसा ही लिखा है
वास्तव में एक बार में एक ही क्षण
मिलता है जीने के लिए !
बस ज़िन्दगी एक पल ही है
सही कह रही हैं आप, चाहो तो इक पल में जी लो, य फिर सारी उमर गंवा दो !
हटाएंऔर जो भी इस रहस्य में उतर आता है तो मुक्त हो जाता है कालचक्र के वर्तुल से । सत्य को प्रतीत कराने हेतु हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसत्य के प्रति आपकी तीव्र ललक झलक रही है, स्वागत व आभार !
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह अनीता जी, अमृता प्रीतम की याद दिला दी आपने तो ...बहुत खूब लिखा कि ...‘काटे नहीं कटता जब समय’
जवाब देंहटाएंकोई अंधेरे में भटक रहा है
अपनी पीड़ा को टाँक देता है समय पर!..वाह
सुंदर प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद अलकनंदा जी !
हटाएंसमय के खेल और जीवन के रंग- सामने रख दिये आपने,एक ही समय और एक ही रूप कैसे ढल जाता है अलग-अलग! .
जवाब देंहटाएंसही है, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि ! स्वागत है आपका प्रतिभा जी !
हटाएंबहुत खूब ... समय को देखने का एक अलग दृष्टिकोण ...
जवाब देंहटाएंसमय स्थिर है बाकी सब चलायमान है ... ये जीवन भी ... अलग रचना ...