होली अंतर की उमंग है
है प्रतीक वसंत जीवन का
यौवन का इंगित वसंत है,
होली मिश्रण है दोनों का
हँसते जिसमें दिग-दिगंत है !
रस, माधुर्य, सरसता कोमल
आशा, स्फूर्ति और मादकता,
होली अंतर की उमंग है
अमर प्रेम की परम गहनता !
जिंदादिल उत्साह दिखाते
साहस भीतर भर-भर पाते,
होली के स्वागत में ख़ुशियाँ
पाते उर में और लुटाते !
सुंदर, सुखमय सजे कल्पना
रंगों की आपस में ठनती,
मस्तक लाल, कपोल गुलाबी
मोर पंख सी चुनरी बनती !
कण-कण वसुधा का मुस्काए
फूलों से मन खिल-खिल जाते ,
लुटा रहा सुवास मौसम जो
चकित हुए नासापुट पाते !
हरा-भरा पुलकित उर अंतर
कण-कण में झलके वह सुंदर,
मधुरिम, मृदुलिम निर्झर सा मन
कल-कल करे निनाद निरंतर !
मादक पीयुष सी ऋतु होली
अमराई में कोकिल बोली,
जोश भरा उन्मुक्त हृदय ले
निकली मत्त मुकुल की टोली !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं