प्रिय ब्लॉगर मित्रों, पिछले दिनों गुजरात की यात्रा का सुअवसर प्राप्त हुआ, यात्रा विवरण लिखने में समय लगेगा, सोचा, जो भाव अभी मन में ताजा हैं, उन्हें ही आकार दे दिया जाये, आपसे अनुरोध है, कविता पढ़ें और गुजरात देखने की प्रेरणा आपके भीतर भी जगी या नहीं, इस पर अपनी राय भी लिखें।
कुछ दिन तो गुजारें गुजरात में
पाषाण युग की बस्तियों के साथ
विश्व की प्राचीनतम सभ्यता का
उद्गम स्थल
जिसके चिह्न
धौलावीरा में सुरक्षित हैं !
अफ़्रीका के पूर्वी किनारे से
आ बसे
आदिमानव के वंशज
जहाँ आज भी हैं !
उनकी कलाओं का
सम्मान भी किया जाता है,
सदियों पूर्व बना
व्यापार का केंद्र
तापी के तट पर बसा सूरत
इतिहास रचा गया
साबरमती के तट पर
पोरबंदर बापू की
अनमोल स्मृति दिलाता है !
गढ़े मानक आस्था के
सोमनाथ की अमरता ने
जगायी श्रद्धा और भक्ति
द्वारिका की हवा में जादू है
उमड़ती हज़ारों की भीड़
कृष्ण, रुक्मणी, सुदामा
जैसे आज भी जीवित हैं !
भुज उठ खड़ा हुआ पुन:
अंकित है ‘स्मृति वन’ में
कच्छ के रण की फ़िज़ाँ
उमंग व ऊर्जा से पोषित है !
नमक के श्वेत मैदान
चाँदनी रात में चमकते हैं जहाँ
हज़ारों पंछियों की ध्वनि से
गूँजता है आसमाँ
गीर के जंगलों में
राजा का निवास
एशियाई शेरों का घर
विश्व की धरोहर है ख़ास
विश्व की सर्वाधिक ऊँची
सरदार की मूरत
बनी है केवड़िया की शान
नर्मदा और माही के किनारे
बसे तीर्थ हैं इसकी आन
पश्चिम में मीलों तक फैले
अनुपम विशाल सागर तट
हर पर्यटन स्थल जैसे
अपनी ओर बुलाता है
चंद दिन गुज़ार गुजरात में
हर कोई
उत्सव के रंग में डूब जाता है !
अनिता दी, गुजरात का बहुत ही सटीक वर्णन किया है आपने।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ज्योति जी !
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर काव्य चित्र खींचा है आपने अनीता जी गुजरात का।
जवाब देंहटाएंसस्नेह।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत काव्यचित्र
बड़ी ही उम्दा अभिव्यक्ति
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