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बुधवार, अक्टूबर 11

साक्षी

साक्षी 


जैसे दर्पण में झलक जाता है जगत 

दर्पण ज्यों का त्यों रहता है 

पहले देखती हैं आँखें

फिर मन और तब उसके पीछे ‘कोई’ 

पर वह अलिप्त है 

उस पर्दे की तरह 

जिस पर दिखायी जा रही है फ़िल्म 

पर्दा नहीं बनाता चित्र 

पर ‘वही’ बन जाता है जगत 

जैसे सागर ही लहरें बन जाए 

पर पीछे खड़ा देखता रहे 

उठना-गिरना लहरों का   

मन भी दिखाता है एक दुनिया 

विचारों, भावनाओं की 

पर उससे निर्लिप्त नहीं रह पाता 

यही तो माया है !


गुरुवार, अप्रैल 15

यह विश्वास रहे अंतर में

यह विश्वास रहे अंतर में


शायद एक परीक्षा है यह

जो भी होगा लायक इसके, 

उसको ही तो देनी होगी 

शायद एक समीक्षा है यह ! 


जीवन के सुख-दुखका पलड़ा 

सदा डोलता थिर कब रहता, 

क्या समता को प्राप्त हुआ है

शेष रही अपेक्षा है यह !


तन दुर्बल हो मन भी अस्थिर 

किन्तु साक्षी भीतर बैठा, 

शायद यही पूछने आया 

क्या उसकी उपेक्षा है यह !


जिसने खुद को योग्य बनाया 

प्रकृति ठोंक-पीट कर जांचे,  

इसी बहाने और भी शक्ति

भीतर भरे सदिच्छा है यह !


यह विश्वास रहे अंतर में 

उसका हाथ सदा है सिर पर, 

पल-पल की है खबर हमारी 

शायद उसकी चिंता है यह ! 


हुए सफल निकल आएंगे 

हृदय को दृढ़तर पाएंगे, 

चाहे कड़ी परीक्षा हो यह 

कृपालु की दीक्षा है यह !


 

बुधवार, जुलाई 29

साक्षी

साक्षी 

बनें साक्षी ? 
नहीं, बनना नहीं है 
सत्य को देखना भर है 
क्या साक्षी नहीं हैं हम अपनी देहों के 
शिशु से बालक 
किशोर से प्रौढ़ होते ! 
क्या नहीं देखा हमने 
क्षण भर पूर्व जो मित्र था उसे शत्रु होते  
अथवा इसके विपरीत 
वह  चाहे जो भी हो 
वस्तु, व्यक्ति, परिस्थिति 
क्या देख नहीं रहे हैं हम 
एक वायरस को दुनिया चलाते हुए 
थाली में रखे भोजन को 
‘मैं’ बन जाते हुए 
नित्य देखते हैं कली को खिलते 
नदियों को बाढ़ में बदलते 
भूमि को कंपते हुए
सिवा साक्षी होने के हमारा क्या योगदान है इनमें 
चीजें हो रही हैं 
हमें बस उनके साथ तालमेल भर बैठाना है 
जैसे बरसता हो बादल तो सिर पर एक छाता लगाना है  ! 


रविवार, जून 21

योग तभी घटता जीवन में


योग तभी घटता जीवन में 



टुकड़ा-टुकड़ा मन बिखरा जो 
जुड़ जाता जब हुआ समर्पित 
योग तभी घटता जीवन में 
सुख-दुःख दोनों होते अर्पित ! 

योगारुढ़ हो युद्ध करो तुम 
कहा कृष्ण ने था अर्जुन को, 
जीवन भी जब युद्ध बना हो 
योगी हर मानव क्यों ना हो ? 

योगी का मन एक शिला सा 
दुई में जीता है संसार, 
मंजिल एक, एक ही रस्ता 
लेकर जाए योग भव पार !

देह की हर वेदना जाने 
मन के स्पंदन को भी पढ़ता,
योगी कुशल कर्म में होकर 
हुआ साक्षी निज में रहता !

नित्य-अनित्य का संज्ञान है 
सुख के पीछे दुःख को लख ले, 
मैत्री, करुणा, मुदिता आदि  
अंतर के कण-कण में भर ले !




मंगलवार, अक्टूबर 28

पंछी उड़ जायेगा इक दिन


पंछी उड़ जायेगा इक दिन



कौन रुकेगा यहाँ व कब तक
देर नहीं, टूटेगा पिंजरा,
पंछी उड़ जायेगा इक दिन
कभी न देखा जिसका चेहरा !

उस पंछी को मीत बना ले
वही अमरता को पाता है,
लहर मिटी सागर न मिटता
जीवन सदा बहा करता है !

उससे जिसने लगन लगाई
ठहरा जो पल भर भी उसमें,
अमृत पाया अपने भीतर
मिटा बीज जीया अंकुर में !

खो जायेगा इक पल सब कुछ
अंधकार ही सन्मुख होगा,
बना साक्षी मुस्काता जो  
तब भी कोई शेष रहेगा !

खुद से पार खड़ा जो हर पल
उससे ही पहचान बना लें,
तृषा जगे उससे मिलने की
प्रीति बेल सरसे जीवन में !



गुरुवार, फ़रवरी 28

शुभ विवाह


हाल ही में एक विवाह में सम्मिलित होने का अवसर मिला, कुछ अलग सा अनुभव हुआ,  क्या था वह अनुभव, आप भी पढ़िये और शामिल हो जाइये इस विवाह में...


शुभ विवाह

साथी बचपन के बंधे
आज परिणय सूत्र में,
मुदित माँ करें स्वागत
द्वार पर अति प्रेम से !
एक अनोखे विवाह का
साक्षी बना संसार,
जहाँ दुल्हन ही निभाती
अन्य सभी व्यवहार !
बागडोर सम्भाले निज जीवन की
करती बड़ी कम्पनी में प्रतिष्ठित नौकरी
आत्मविश्वास भरा कदमों में
भरे स्वप्न सुंदर आँखों में... !
श्रम की आभा से दीप्त होती
माँ-पिता को आश्वस्त करती,
नए युग की नई दुल्हन
भारत का नया भविष्य गढ़ती !
न ही कोई झिझक न संकोच.
न डर कहीं नजर आता,
सधे कदमों में उसके
सुंदर भविष्य ही खबर लाता !
अंग्रेजी, हिंदी, असमिया फर्राटे से बोलती
आँखों ही आँखों में दिल के राज खोलती,
दुल्हन यह अनोखी न जरा भी शर्माती  
निज विवाह का निमंत्रण अकेले देने जाती ! 
भाई संग महाराष्ट्रीयन भाभी
आए असम पहली बार,
घूमें, छू लें असम की बयार
नहीं चाहती पड़े उन पर कोई भी भार !
दीदी भी आई गुवाहाटी से, करुणा
जितना हो सके है लुटाती
पिता आजमगढ़ी आनंद और
माँ असम की भारती !
असम और यूपी का अनोखा संगम
शाम को संगीत, सुबह हुआ जोरन
राष्ट्रीयता का प्रतीक यह शुभ विवाह
देख जिसे निकले, बस वाह ! वाह !
ले हाथों में हौराई, जहां सजे बन्दनवार
दुल्हन खड़ी लाल जोड़े में तैयार
आया दूल्हा बन राजकुमार
खुशियों से भर गया सारा परिवार !