शुक्रवार, अप्रैल 24

कृष्ण

कृष्ण 


कृष्ण कहते हैं 
जीवन एक यज्ञ है 
इसे युद्धक्षेत्र मत बनाओ 
किन्तु यदि कोई चारा न हो 
तो अपने-अपने गांडीव उठाओ !

कृष्ण की आँखों से जग को देखें 
तो कुरुक्षेत्र, यज्ञक्षेत्र ही नजर आता है 
यहां आहुति दे रहे हैं सभी 
अपने-अपने हिस्से की 
 अपने लिए नहीं हर 
युद्ध औरों के लिए लड़ा जाता है 

निज सुखों की आहुति देकर 
आज भी लड़ रहे हैं सैनिक 
कुछ सीमाओं पर कुछ अस्पतालों में 
सड़कों पर और मोहल्लों में 
जिन्हें रोक नहीं पाता
मृत्यु का भय 
कर्त्तव्य का पालन करते हुए यहाँ
हर रोज एक-एक कदम आगे बढा जाता है !

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