अमर आत्मा का सुगीत फिर
हम अनुशासन पर्व मनाएं
भारत की अस्मिता बचाएं,
अमर आत्मा का सुगीत फिर
मिलकर गोविन्द संग गायें !
मृत्यु से नहीं डरे भारती
गीत प्रलय के नित्य सुनाएँ,
आज उसी गौरव गाथा को
निज शक्ति से फिर दोहराएं !
युग परिवर्तन का चले यज्ञ
दे आहुति कर्त्तव्य निभाएं,
दे आहुति कर्त्तव्य निभाएं,
बार-बार इस भू पर लौटें
मात प्रकृति को शीश झुकाएँ !
आयु दीर्घ हो यही न माँगें
भीतर गहरा बोध जगाएं,
आत्मशक्ति का करें जागरण
घर-घर दीपक योग जलाएं !
अनुशासन का पालन करके
दुनिया को नव मार्ग सुझाएँ,
भारत की संस्कृति अपूर्व है
इस सच को जीकर दिखलाएँ !
सार्थक सन्देश
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंअनुशासन का पालन करके
जवाब देंहटाएंदुनिया को नव मार्ग सुझाएँ,
भारत की संस्कृति अपूर्व है
इस सच को जीकर दिखलाएँ !
वाह!!!
स्वागत व आभार !
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