तेरा आना
तू देता है तो दिए ही चला जाता है
बह जाते हैं सारे द्वंद्व जिसमें
खो जाते हैं भेद सभी
गिर जाती हैं दीवारें
तू बरसता है तो बरसे ही चला जाता है
धुल जाती है धूल मन के दर्पण से
स्वच्छ हो जाती है दृष्टि
उग आते हैं कोमल अंकुर
उगता है केवल देने का भाव
मिट जाते हैं सारे अभाव
तेरा आना किसी बदली की तरह नहीं होता
आच्छादित हो जाता है सारा नभ क्षितिजों तक
तेरा आना हवा के किसी झोंके की तरह नहीं होता
छा जाती है मधुऋतु
तेरा आना किसी महाआकाश के आंगन में उतर जाने सा है
किसी सागर के दिल में समाने सा है
तू सुहृद बनकर साथ चलता है
तेरे साये में ही हर दिल का कमल खिलता है !
स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंतेरा आना किसी महाआकाश के आंगन में उतर जाने सा है
जवाब देंहटाएंकिसी सागर के दिल में समाने सा है
तू सुहृद बनकर साथ चलता है
तेरे साये में ही हर दिल का कमल खिलता है !
बहुत सुंदर रचना अनिता जी |आध्यात्मिकता जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है | जीवन में जब किसी दिव्य आभा का आभास हो , वही पल महाकाश के आँगन में उतरने जैसा है | हार्दिक शुभकामनाएं
स्वागत है रेणु जी, जीवन के इस सर्वोच्च लक्ष्य की ओर जो चल पड़ता है वह कभी न कभी इस अनुभव का साक्षी बन ही जाता है
हटाएं🙏🙏🌷🌷
हटाएंदिव्यता के प्रकाश जब आता है ... तो सब कुछ सहज ही खुला जाता है ... सब दीवारें गिर जाती हैं सीधा मन से जुड़ाव होता जाता है ... बहुत सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ !
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