मंगलवार, जनवरी 24

गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाओं सहित

एक ऊर्जा परम लहर बन 


विश्व आज देखे भारत को

 ​​एक नवल इतिहास बन रहा, 

युगों-युगों से जो नायक था

 पुनः समर्थ सुयोग्य सज रहा  !


भारत की परिभाषा क्या है 

नित तेज-प्रकाश खोज में रत, 

अंधकार में डूबी दुनिया 

महामारी व महाआतंक ! 


मिला इसे शुभता का बल नित 

 महाशक्ति हर शिव की पायी , 

एक ऊर्जा परम लहर बन 

कण-कण में जो सदा समायी  !


अब यह आगे बढ़ निकला है 

पथ की हर बाधा को तजकर, 

नहीं थमेगा पूर्व लक्ष्य के 

कर्मशील यह सदा निरंतर !


12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 जनवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (26-01-2023) को "आम-नीम जामुन बौराया" (चर्चा-अंक 4637) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. भारत क युवा भी कर्मशील हो कर कर्म पथ हैं आज ...
    सफ़लत कदम चूमेगी ...

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  4. वाह ! बहुत सुंदर और देश के विकास को कहती सार्थक रचना ।

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  5. वाह वाह, सुंदर और सामयिक रचना

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  6. आज की तिथि ऐसी है कि बसंत पंचमी का पर्व और गणतंत्र दिवस एक ही दिन है।
    सर्वप्रथम आप सभी को बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस की बधाई।
    भगवती सरस्वती सभी का कल्याण करें।

    देश के विकास को चंद पंक्तिया में प्रस्तुत करती सुंदर रचना।

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