बुधवार, मई 1

मई दिवस पर

मई दिवस पर 


दुनिया बंट गई जब से 

मज़दूर और मालिक में 

बंदे और ख़ालिक में 

शोषित और शोषक 

तब से ही आये हैं अस्तित्त्व में 

पर अब समय बदल रहा है 

श्रमिक भी सम्मानित किए जाते हैं 

सफ़ाई कर्मचारियों के पैर 

पखारे जाते हैं 

आगे की पंक्तियों में स्थान मिलता है 

श्रमिकों को सभाओं में 

श्रम की महत्ता को हम स्वीकारने लगे हैं 

मज़दूर दिवस पर लग रहे हैं नये नारे 

दुनिया के सब लोगों एक हो जाओ

एक तरह से यहाँ सभी श्रमिक हैं 

श्रम के बिना यहाँ कुछ भी नहीं मिलता है 

हाँ, श्रम शारीरिक, मानसिक

या बौद्धिक हो सकता है 

घंटों कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठे 

युवा भी श्रमिकों की श्रेणी में आ सकते हैं
रेढ़ी-पटरी वाले और उनको 

ऋण देने वाले बैंक के कर्मचारी 

 दोनों ही समाज का काम करते हैं 

श्रम करते हैं खिलाड़ी 

देश का नाम होता है 

चींटी भी कम श्रम नहीं करती 

घर बनाने और जमा करने में भोजन 

बोझ केवल आदमी ही नहीं उठाता 

पशु भी भागीदार हैं युगों से 

नन्हा शिशु भी पालने में पड़ा -पड़ा 

हाथ पैर मारता है 

श्रम की महत्ता 

प्रकृति का हर कण सिखलाता है ! 


4 टिप्‍पणियां:

  1. समाय वाकई बदल गया है समय बस 'मोदी' हो गया है | अन्यथा ना लें सकारात्मक सोचें |

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    1. मोदी के विरोधी हों या समर्थक आज कोई भी मोदी से बच नहीं सकता। लोकतंत्र में सबको अपना मत चुनने का अधिकार है, यही तो भारत को अक्षुण्ण बनाये हुए है, स्वागत व आभार जोशी जी !

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