जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर
अपनों के जब घाव लगे हों कोमल मन पर
टीस उठा करती हो फिर उनमें रह-रह कर,
कैसे कोई करे भरोसा तब इस जग पर
खुद से खुद बातें करता है मन यह अक्सर !
नहीं अकारण होता कुछ भी इस दुनिया में
धीमे से फिर मुस्का देता यही सोचकर,
कोई अपना ही हिसाब था हुआ पूर्ण है
अब क्या रोना उन बीती बातों को लेकर !
मिलीं नेमतें नजर रहे यदि केवल उन पर
कितने अपने साथ चल रहे जीवन पथ पर,
चलना होगा मन में ले विश्वास उन्हीं पर
जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर !
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत आभार !
हटाएंआशा और उम्मीद की किरण रहनी चाहिये ...
जवाब देंहटाएंयही सत्य है और इसको लेकर चलना ही जीवन ...
सही कह रहे हैं आप, आभार !
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