लॉक और अनलॉक
कभी लॉक और कभी अनलॉक में रहते
बड़े हो रहे हैं जो शिशु
क्या बदल नहीं जायेंगे
उनके लिए जीवन मूल्यों के आधार ?
लोगों से न मिलना-जुलना
दो गज की दूरी बनाकर रखना
यही होगा सामान्य शिष्टाचार !
दादी-नानी के यहाँ छुट्टियों में
साथ पूरे कुनबे के बच्चों के
धमाल करना
बस कहानियों में ही रह जायेगा
स्कूल, बड़े भाई-बहनों से सुने किस्सों में जीवित
उनकी दुनिया हो जाएगी क्या
एक चारदीवारी में सीमित !
बैठ कमरे में वह नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार से
पढेंगे अतीत का इतिहास
जब भीड़ में लोग चला करते थे आसपास
लाखों डुबकी लगाते थे कुम्भ में
हजारों स्टेडियम में हौसला बढ़ाते थे
जीवन में उलटफेर हुआ है कितना
इसका असर नई पीढ़ी पर ही पड़ेगा
कैसी दुनिया हम उन्हें सौंप रहे हैं
इतिहास इसका इल्जाम क्या हम पर ही नहीं मढ़ेगा !
सुन्दर सृ जन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसामयिक रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
स्वागत व आभार !
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 17 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंउपयोगी गद्यगीत।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसही कहा इतिहास इसका इल्जाम क हम पर ही मढ़ेगा ! क्योंकि हमारी ही अति का नतीजा है ये..
जवाब देंहटाएंविचारणीय सृजन।