सोमवार, अगस्त 31

पांच दोहे

 पांच दोहे  

मेधा, प्रज्ञा, धी, सुमति, बुद्धि, ज्ञान हैं ‘नाम’ 

समझ मिली तो मुक्ति है, हो गए चार धाम !

 

प्रज्ञा ज्योति सदा जले, मार्ग दिखाती जाय 

धृति धीरज का नाम है, कुमति रहे नचाये 

 

जीवन को जो थामता, धर्म वही इक तत्व 

सुपथ पर ले जाये जो, प्रज्ञान वही समत्व 

 

मानव पशु में भेद क्या, धी प्रभु का वरदान 

वाणी में जो प्रकट हो, भीतर बिखरा मौन 

 

हर सुख का जो स्रोत है, उसे आत्मा जान 

हरि की धुन लगाए जो,मान उसे ही ज्ञान 


7 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (01 -9 -2020 ) को "शासन को चलाती है सुरा" (चर्चा अंक 3810) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. वाह /... बहुत सुन्दर ... गहरा दर्शन लिए है हर दोहा ...
    बहुत आभार ...

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. आपके दोहों की बात ही कुछ और है अनीता जी...

    जीवन को जो थामता, धर्म वही इक तत्व
    सुपथ पर ले जाये जो, प्रज्ञान वही समत्व ...वाह अद्भुत

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  5. बहुत सुंदर वंदना ।बेहतरीन दोहे।

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