गुरुवार, जून 8

रेल दुर्घटना

रेल दुर्घटना 


हो सकता है कोई हादसा 

इतना भयावह 

मानो आने वाली हो प्रलय 

उलट-पुलट गयीं बोगियाँ  

उखड़ गयीं पटरियाँ 

और डिब्बों में बैठे लोग 

भौंचक तकते रह गये 

 है यह कोई जलजला 

या दिन क़यामत का 

किसने सुनी होगी वह चीखो-पुकार 

जो उलट गये डिब्बों में 

फँसे यात्रियों ने लगायी होगी 

कोई बैठ-बैठे ही 

कोई सोये-सोये ही 

चला गया चिरनिद्रा में 

दिल डूब रहा है देशवासियों का 

देख पीड़ा का यह मंजर 

जैसे उतार रहा हो निर्दयी काल 

सीनों में ख़ंजर 

जो बच गये हैं उनके 

तन-मन  पर लगे घाव शीघ्र भरें 

पुन: स्वस्थ हों खड़े अपने पैरों पर 

यही दुआ हम उनके लिए करें ! 


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