जो घर खाली दिख जाता है
एक-एक कर चुन डाले हैं
पथ के सारे पत्थर उसने,
कंटक चुन-चुन फूल उगाये
हरियाली दी पथ पर उसने !
ऊपर-ऊपर यूँ लगता है
पर भीतर यह राज छिपा है,
वह खुद ही आने वाला है
उसी हेतु यह जतन किया है !
जिस दिल को चुनता घर अपना
उसे सँवारे सदा प्रेम से,
जो घर खाली दिख जाता है
डेरा डाले वहीं प्रेम से !
उसकी है हर रीत निराली
बड़ा अनोखा वह प्रियतम है,
एक नयन में देता आँसू
दूजे में भरता शबनम है !
वह जो है बस वह ही जाने
हम तो दूर खड़े तकते हैं,
वही पुलक भरता अंगों में
होकर भी हम कब होते हैं !
जिस दिल को चुनता घर अपना
जवाब देंहटाएंउसे संवारे सदा प्रेम से,
जो घर खाली दिख जाता है
डेरा डाले वहीं प्रेम से !
इश्वर की लीला है ... सुन्दर प्रस्तुति
अनीता जी, लम्बे समय से दिल को पूरी तरह खाली रखने के लिए साधना कर रही हूँ .. फिर भी सफल नहीं हो पायी हूँ ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंऊपर-ऊपर यूँ लगता है
पर भीतर यह राज छिपा है,
वह खुद ही आने वाला है
उस हेतु यह जतन किया है !
...बढ़िया :-)
जिस दिल को चुनता घर अपना
जवाब देंहटाएंउसे संवारे सदा प्रेम से,
जो घर खाली दिख जाता है
डेरा डाले वहीं प्रेम से !
सच है वो तो सदा तैयार खड़ा है हम ही अपना घर खाली नहीं कर पाते......दुनिया का कूड़ा करकट भर कर रखा है |
ऊपर-ऊपर यूँ लगता है
जवाब देंहटाएंपर भीतर यह राज छिपा है,
वह खुद ही आने वाला है
उस हेतु यह जतन किया है !waah
वह जो है बस वह ही जाने
जवाब देंहटाएंहम तो दूर खड़े तकते हैं,
वही पुलक भरता अंगों में
होकर भी हम न होते हैं ! गहन अभिवयक्ति........
संगीता जी, अमृता जी, रश्मि जी, विद्या जी, सुषमा जी, व इमरान आप सभी का स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएंएक नयन में देता आँसू
जवाब देंहटाएंदूजे में भरता शबनम है !
यही कहानी जीवन की ....
वह जो है बस वह ही जाने
जवाब देंहटाएंहम तो दूर खड़े तकते हैं,
वही पुलक भरता अंगों में
होकर भी हम न होते हैं ..बहुत गहन अभिव्यक्ति,जीवन यही है..
एक नयन में देता आँसू
जवाब देंहटाएंदूजे में भरता शबनम है !
जिंदगी का सच भी यही है.